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बात और यहसास को समझे नहीं वो,
इशारों के जज्बात को समझे नहीं वो।
यूँ ही तो दूर-दूर होने को लगे बेवजह,
लबों की मुस्कुराहट को समझे नहीं वो।
कोई अपना भी दूर जाता है कभी भी,
दूर से पास के हालत को समझे नहीं वो।
सफर ये जो अब किया साथ-साथ पूरा,
मंजिल करीब आने को समझे नहीं वो।
चल ‘मनु’ उसकी नगरी में फिर से चलें,
अपना बना के हालत को समझे नहीं वो॥
#मानक लाल ‘मनु’
परिचय : मानक लाल का साहित्यिक उपनाम-मनु है। आपकी जन्मतिथि-१५ मार्च १९८३ और जन्म स्थान-गाडरवारा शहर (मध्यप्रदेश) है। वर्तमान में आडेगाव कला में रहते हैं। गाडरवारा (नरसिंगपुर)के मनु की शिक्षा-एम.ए.(हिन्दी साहित्य-राजनीति) है। कार्यक्षेत्र-सहायक अध्यापक का है। सामाजिक क्षेत्र में आप सक्रिय रक्तदाता हैं। लेखन विधा-कविता तथा ग़ज़ल है। स्थानीय समाचार पत्रों में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लेखन गतिविधियों के लिए कई सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं की सदस्यता ले रखी है। आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक सरोकार,हिंदी की सेवा,जनजागरुक करना तथा राष्ट्र और साहित्यिक सेवा करना है।
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