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संस्कृति,परंपरा,शिष्टाचार,
सब गले-मिलें-बांटें प्यार।
हृदय-हृदय में नेह पले,
द्वार-द्वार एकात्म के दीप जले॥
छट जाएं तिमिर गहरे,
घर-घर वेद-पुराण पढ़ें।
स्वार्थ,लोभ,ईर्ष्या,द्वेष,
फैले हुए क्लेश को हरे॥
आदि शंकराचार्य के मार्ग पर चलें,
एकात्म की पावन धारा बहे।
छोड़ अहम,वैचारिक स्तर को,
एकात्म भाव ले,सब गले मिलें॥
#गोपाल कौशल
परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।
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