कोरोना को हराने में लगा हुआ है देश का हर योद्धा l

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कोरोना महामारी ने है पूरी दुनिया में तबाही मचा रही है अनेकों देश इस महामारी की चपेट में है लाखो लोग इस संकट से जूझ रहे है सारी व्यवस्थाएं ,जनजीवन की तमाम बड़ी छोटी जरूरत की पूर्ति हेतु आवश्यकता आज कोने में पड़ी है अनेकों देश परमाणु बम को लेकर चिंता मुक्त होकर बैठे थे के हम सुरक्षित है ओर किसी भी देश से आने वाले संकट से निपट सकते है अनेकों देश अपने आप को दुनिया का सबसे शक्ति शाली देश बताने की होड़ में लगे थे, सबसे ज्यादा सम्पन्न,शिक्षित, समृद्ध ओर हथियारों सहित ताकत से भरपूर होने की तैयारी में रात दिन लगे हुए थे लेकिन एक कीटाणु के नाम से या माध्यम से प्रकृति ने ऐसा सबक सिखाया के सभी को पता चल गया के वो सारे यहां पर केवल अस्थाई हैl स्थाई तो केवल स्वयं प्रकृति ही है और उसके सारे प्राकृतिक स्त्रोत ही है जो सदियों से इस धरती के है और धरती पर है स्वयं संचालित प्रकृति भी खुद अपने सारे नियमो का पालन करती है और सारे प्राकृतिक स्रोत अपने नियम से स्वयं संचालित होते है और प्राकृतिक तरीके से अपने को नियमित रखते है और जब कभी कहीं कोई किसी प्रकार से प्रकृति का संतुलन बिगड़ता है या प्रकृति का संतुलन बिगड़ता है तो फिर प्रकृति स्वयं अपना संतुलन बनाने और उसको सुधारने हेतु कुछ ऐसा कदम उठाने को मजबुर हो जाती है जिससे समस्त प्राणी को जीवन का संकट अान पड़ता है कुछ समय पूर्व से मानव ने अपने आप को दुनिया का मालिक समझ कर इसके सारे नियमो को तोड़ना शुरू कर दिया ,सारे प्राकृतिक नियमो को तोड़ कर अपनी सहूलियत ओर सुविधा के लिए इस स्वयंभू प्राकृतिक स्रोत और उनके सारे नियमो को तोड़ कर अपने बनाए नियम अपने बनाए यंत्र ,अपने बनाए पुर्जो अपने उपयोग के समय को और अपनी मर्जी को थोपना शुरू कर दिया जब प्रकृति का सारा संतुलन बिगड़ने लगता है तो सारी व्यवस्था विपरीत होकर सारे प्राणियों के लिए संकट बन जाती है पूर्व समय में जब सब कुछ प्राकृतिक होता था तो इंसान के लिए जीवन एक उत्सव के साथ आकर्षित हुआ करता था मानव अपने जीवन काल से सम्पूर्ण रूप से संतुष्ट हुआ करता था और समस्त रूप से सुकून से भरा हुआ रहता था नदियों ,पर्वत ,झरने,धरती, गगन,मिट्टी,उपज,खपत,ओर समस्त जीवन उपयोगी जरूरत की पूर्ति हेतु सदैव नियम में रहता था और स्वस्थ रहने के सारे प्राकृतिक तरीके से अपने को नियमित रूप से जुड़ा हुआ रखता थाl कोई बात से दुखी नहीं था आज दुनिया भर में इंसान के पास सब कुछ होकर भी सुकून नहीं है इंसान स्वयं से ही संतुष्ट नहीं है वो दूसरों को ही देख देख दुखी है और अपने इस दुख को मिटाने और सामने वाले के सुख घटाने के लिए भाग रहा है दौड़ रहा है पागल पागल हो रहा है नित मर रहा है मर मर के जी रहा है सारा जीवन असंतुष्टि में जीता है सुकून को प्राप्त करने में आज दुनिया भर को प्रकृति की ऐसी मार पड़ी है के जिसमें सारा मोह केवल अपने आप को सुरक्षित रखने में ही हो गया है आज उसे कुछ नहीं चाहिए ना उस आगे जाना है ना किसी को पीछे करना है ना किसी को नीचे करना है ना खुद ऊपर उठाना है ना किसी को हराना है ना किसी को जितना है सारा मामला जीवन पर आकर रुक गया है और यह जीवन भी जब तक है जब तक शरीर स्वस्थ है तो आज केवल स्वस्थ रहना और रखना ही मुख्य लक्ष्य बन गया है इंसान का क्योंकि स्वास्थ ही सबसे बड़ा धन है यह आज मानव समझ गया है और प्राकृतिक तरीके से अपने आप को सुरक्षित रखने में आज मानव जीवन के लिए तैयार भी है तमाम दुनिया संकट से गुजर रही है इस महामारी कोरोना के कारण इसी कोरोना नामक वायरस ने भारत में भी अपना असर दिखाया है लेकिन भारतीय जीवन आज भी बहुत मात्रा में प्राकृतिक से नजदीक होकर जीवन को जीता है जिससे आज भारत में कोरो ना से पीड़ितो की संख्या सारे देशों से कम भी है और लोगो को स्वास्थ्य का लाभ भी मिल रहा है जिससे वो ठीक हो रहे है अन्य देशों में लोग अनगिनत मरे जा रहे है वहा सही संख्या नहीं बताई जा रही है लोग अपने ही किसी परिवारिक सदस्य की मदद सेवा नहीं कर रहे है और तमाम देश इस महामारी से पस्त हो चुके है लेकिन मेरे देश भारत की भारतीय संस्कृति तो एक अनेखी संस्कृति है जहां अपने से ज्यादा अपनों की परवाह की जाती है अभी देश भर में लॉकडाउन कानून लगाकर कोरोना के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है और इस लड़ाई में इस समय में देश की अनेकों संस्थाएं, अनेकों सामाजिक संगठन ,देश के अनेकों विभाग और उनके सेवादार ,अनेकों सेवा समूह ,दल पूरी तैयारी से जुटे हुए हैं ,पुलिस विभाग का हर छोटा बडा अधिकारी दिन रात एक करके अपना फर्ज निभा रहा है देश भर मं पुलिस का हर जवान रक्षक के रूप में अपने घर परिवार की चिंता छोड़ ,अपना सुख चैन छोड़,भूख प्यास को भुला कर देश की जनता के सुरक्षा में लगा हुआ है चाहे वो पंजाब हो,महाराष्ट्र मधयप्रदेश हो,उत्तर प्रदेश या रजेस्थान हो या कोई भी राज्य हो हर और हर जवान अपनी जान की परवाह किए बगैर इस समय अपनी सेवा दे रहा है और पूरी निष्ठा से को रोना को हराना ही है का संकल्प लेकर अपने आप को एक योद्धा की तरह ऊर्जा से भरपूर होकर देश हित में लगा हुआ है
सफाई कर्मियों द्वारा भी पूरी जिम्मेदारी से अपना फर्ज निभाया जा रहा है वो भी सारी व्यवस्था को अच्छे से निभा रहे हैं और देश हित में डटे हुए है जान हथेली पर रख कर लोगो की और देश की सुरक्षा में तैनात है l
इसी तरह स्वास्थ विभाग का पूरा अमला एक एक सदस्य चाहे वो डॉक्टर हो ,सहायक हो, नर्से हो या हॉस्पिटल के अन्य कर्मचारी हो रात दिन अपने आप को भुला कर एक सेवक की भांति अपने कर्तव्य को जिम्मेदारी से निभा रहे है पूरी सेवा में पूरी निष्ठा से पूरे मन से कर अपने आप को देश की सेवा देश की जनता की सेवा और इस महामारी से निपटने की तैयारी कर हर वो व्यक्ति लगा हुआ है जिसके ऊपर जिम्मेदारी है
अनेकों डॉक्टर रात दिन अपनी जान हथेली पर रख कर लोगो की जान बचाने में लगे हुए है इस कोरोना महामारी से बचाव हेतु पूरे देश भर में जो सेवा कार्य चल रहा है यह देश हित और जन हित के लिए एक अनुष्ठान ही है जिसमें अनेकों जन सेवाएं प्रदान करने वाली संस्थाएं भी हर तरह से इस संकट की घड़ी में पूरी निष्ठा से अपना फर्ज निभा रही है लोगो की मदद हेतु राशन ,भोजन, दवाई ओर जरूरत की वस्तुओं की सहायता की जा रही हे और इस लड़ाई में जीत हासिल करने की कोशिश में हर संभव मदद कर रही है, पूरे देश ओर पूरे प्रदेशों में अनेकों समाज के अनेकों परिवार के युवा और समाज के सेवक इस संकट में बिना किसी भेदभाव के अपना अपना योगदान दे रहे है l
हर जाति के डाक्टर के सेवक के रूप में अपनी अपनी सेवा दे रहे हैं तो, स्वास्थ विभाग में भिन्न भिन्न जाति के लोग सब कुछ भूल केवल मानवता की सेवा में अपनी सेवा दे रहे है अनेकों पत्रकार भाई और अनेकों सेवा संस्थाओं के सदस्य इस समय अपना पूरा समय जनसेवा में लगा कर कोरोना को हराने में लगे हुए है l
सारी पार्टियों और जन सेवक द्वारा निजी कोष से भी जन सेवाएं दी जा रही है अनेकों कारीगरों द्वारा मास्क का निर्माण किया जा रहा है और निशुल्क वितरण किया जा रहा है, तो कहीं दूध ,दवा, सेवा दे कर सभी लोग तन,मन ,धन से जन सेवा में लगे है कहीं कहीं तो संगीत कलाकारों द्वारा पुलिस थानों में संगीत की प्रस्तुति के साथ गाने और भजनों की प्रस्तुति दी जा रही है , छत पर चढ़ कर संगीतकारों ओर गायकों द्वारा गीतगाकर आसपास के रहवासियों के मन को प्रसन्नता प्रदान करने हेतु प्रस्तुतियां दी जा रही है पुलिस जवानों का मनोरंजन हो और उन्हें मानसिक ऊर्जा प्राप्त हो, जनता उत्साह से भर जाए ,कर्मचारी उत्साहित रहे डॉक्टर साहब को ऊर्जा मिलती रहे इस हेतु अनेकों देश के कलाकारों द्वारा अपनी प्रतिभा दिखाने का कार्य किया जा रहा है कोई पतंजलि संस्थान के साथ जुड़कर जन सेवा में लगा है कोई योग संस्थाओं के माध्यम से लोगो में जागरूकता लाने का कार्य कर रहे हैं साथ ही देश भर की बैंको में पदस्थ जो अधिकारी है और जो भी शासकीय विभागों में है वह सभी शासकीय आदेश अनुसार अपना कर्म कर सेवा में लगे है
अनेकों लोग अपने सेवा संगठन के माध्यम से जरूरत मंद लोगो तक राहत भेजने में सहायता दे रहे है सारे प्रदेशों में हर जिला हर गांव हर कस्बे में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के हजारों हज़ारों कार्यकर्ता अपनी अपनी सेवा दे कर इस जन सेवा के इस कार्य में लगे है
संकट की इस घड़ी में देश को बचाने और को रोना को हराने में अनेकों सामाजिक संस्थाएं,
अनेकों समाज के समाज सेवक ,पुलिस विभाग का हर जवान ,सफाई अभियान का हर कर्मचारी ,स्वास्थ्य विभाग का हर सेवक और बहुत सारे नामी और गुमनामी सेवादरो के साथ पूरा देश का हर नागरिक घर में रहकर लॉक डाउन का पालन कर
कोरोना को हराने की इस लड़ाई में जुटा हुआ है
देश हित में किया जाने वाला वर्तमान का यह योगदान आने वाली समाज को आने वाली पीढ़ी को देश हित में जनसेवा में उत्साहित रखने और देश हित में समर्पण की भावना से प्रेरित करने में सक्षम होगा,,,

# राजेश शर्मा उज्जैन

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।