मेरे मौला मेरे मुल्क़ को कुछ ऐसा बना दीजिए।
जाति-पाति-धरम का भेद मिटा दीजिए॥
मेरा वतन जग में सबसे निराला रहे।
कुछ ऐसी क़रामात करके दिखा दीजिए॥
भारत कभी शिक्षा की राजधानी रही थी।
विश्वगुरु हमको फिर से बना दीजिए॥
यहाँ लूटमार-कपट बदनेकियां न रहे।
इंसानों के दिल में इंसानियत जगा दीजिए॥
वादियों में पत्थर जो चला रहे हैं।
उनके हाथों में किताबें थमा दीजिए॥
#दीपक शर्मा
परिचय: दीपक शर्मा की जन्मतिथि-२७ अप्रैल १९९१ है। आपका स्थाई निवास जौनपुर के ग्राम-रामपुर(पो.-जयगोपालगंज केराकत) उत्तर प्रदेश में है,जबकि वर्तमान में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रावास में रहते हैं बी.ए.(ऑनर्स-हिंदी साहित्य) और बी.टी.सी.( प्रतापगढ़-उ.प्र.) तक शिक्षित श्री शर्मा फिलहाल एम.ए. में अध्ययनरत(हिंदी)हैं। आप कविता,लघुकथा,आलेख सहित समीक्षा भी लिखते हैं।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी कविताएँ व लघुकथा प्रकाशित हैं। विश्वविद्यालय की हिंदी पत्रिका से बतौर सम्पादक जुड़े हुए हैं।आपकी लेखनी का उद्देश्य- देश और समाज को नई दिशा देना तथा हिंदी क़ो प्रचारित करते हुए युवा रचनाकारों को साहित्य से जोड़ना है।