कैसे-कैसे लोग

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rakesh joshi
कैसे-कैसे लोग शहर में रहते हैं,
जलता है जब शहर तो घर में रहते हैं।
जाने क्यों इस धरती के इस हिस्से के,
अक्सर सारे लोग सफ़र में रहते हैं।
भूख से मरते लोगों की इस दुनिया में,
राजा-रानी रोज़ ख़बर में रहते हैं।
दौर नया है,जिसमें हम सबके सपने,
दबकर फाइल में,दफ़्तर में रहते हैं।
जनता जब मिलकर चलती है सड़कों पर,
दरबारों में लोग फ़िकर में रहते हैं।
वो जो इक दिन इस दुनिया को बदलेंगे,
मेरी बस्ती,गाँव,नगर में रहते हैं।
                                                                                                                                 #डॉ. राकेश जोशी
परिचय: अंग्रेजी साहित्य में एम.ए.,एम.फ़िल.,डी. फ़िल. करने वाले डॉ. राकेश जोशी देहरादून के डोईवाला में स्नातकोत्तर महाविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के सहायक प्राध्यापक हैं। इससे पूर्व  कर्मचारी भविष्य निधि संगठन(श्रम मंत्रालय, भारत सरकार) में हिन्दी  अनुवादक के पद पर मुंबई में कार्यरत रहे। यहीं पर थोड़े समय के लिए आकाशवाणी विविध भारती में आकस्मिक उद्घोषक के तौर पर भी कार्य किया। इनकी कविताएं-ग़ज़लें अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। काव्य-पुस्तिका ‘कुछ बातें कविताओं में’, ग़ज़ल संग्रह ‘पत्थरों के शहर में’ तथा हिन्दी से अंग्रेजी में अनुदित पुस्तक ‘द क्राउड बेअर्स विटनेस’ भी  प्रकाशित हुई है। डॉ. जोशी की ग़ज़लों में भी आमजन की पीड़ा एवं संघर्ष को सशक्त अभिव्यक्ति मिलती है। हिन्दी ग़ज़ल को आम बोलचाल की भाषा के क़रीब लाने का प्रयास करतीं इनकी ग़ज़लें सरल-सहज शब्दों के साथ हिन्दी ग़ज़ल की दुनिया में उपस्थिति दर्ज़ कराती हैं। आपका जन्म १९७० का है। 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।