मैं छोटी-सी चिड़िया हूँ,
चुन-चुन दाना खाती हूँ
नदी का पानी पीती हूँ,
घने पेड़ पर रहती हूँ।
ऊंची उड़ान भरती हूँ,
करती मीठी चूं-चूं हूँ
अब न नदी,न पेड़ है
खतरे में मेरा नीड़ है।
अब न पानी,न छाया है,
पेड़ों को काट के उजाड़ा है
चारों और है ऊंची अटरिया,
सब कहते हैं मुझको ‘गौरेया।’
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परिचय..वेदिका सक्सेना ‘अर्शी’ की आयु केवल १० बरस ही है,पर बहुमुखी प्रतिभा की धनी है। अहमदाबाद(गुजरात) में कक्षा ४ में निजी शाला में पढ़ती है,साथ ही लिखती भी है। आत्मरक्षा के लिए वैदिका कराटे प्रशिक्षित है तो मंच संचालन भी इसका शौक है। समय प्रबंधन,आत्मरक्षा की समझ रखने वाली अर्शी छोटी-छोटी कविताएं लिखना बहुत पसंद करती है।