दो खुशी जीत की

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satish
जो कहे बात दिल की सुना कीजिए,
नित नया ख्वाब कोई बुना कीजिए।
ये जहां क्या कहेगा इसे सोचकर,
आप मन को नहीं अनमना कीजिए॥
मुश्किलों का सदा सामना कीजिए,
बेतुकी बात हो तो मना कीजिए।
चाहते हो अगर ज़िन्दगी में खुशी,
सब सुखी हों यही कामना कीजिए॥
आप दिल में बसो धड़कनों की तरह,
पास मेरे रहो चाहतों की तरह।
हर कदम पर बनो राह के हमसफ़र,
दो खुशी जीत की मंजिलों की तरह॥
जो असर कर सके वो दुआ बन सकूँ,
दर्द की मैं किसी के दवा बन सकूँ।
ऐ ख़ुदा वो हुनर दीजिएगा मुझे,
मैं किसी दीन का आसरा बन सकूँ॥
                                                                  #सतीश बंसल
परिचय : सतीश बंसल देहरादून (उत्तराखंड) से हैं। आपकी जन्म तिथि २ सितम्बर १९६८ है।प्रकाशित पुस्तकों में ‘गुनगुनाने लगीं खामोशियाँ (कविता संग्रह)’,’कवि नहीं हूँ मैं(क.सं.)’,’चलो गुनगुनाएं (गीत संग्रह)’ तथा ‘संस्कार के दीप( दोहा संग्रह)’आदि हैं। विभिन्न विधाओं में ७ पुस्तकें प्रकाशन प्रक्रिया में हैं। आपको साहित्य सागर सम्मान २०१६ सहारनपुर तथा रचनाकार सम्मान २०१५ आदि मिले हैं। देहरादून के पंडितवाडी में रहने वाले श्री बंसल की शिक्षा स्नातक है। निजी संस्थान में आप प्रबंधक के रुप में कार्यरत हैं।

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