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दरकती नींवों पर रिश्तों की मीनार खड़ी देखी है,
हमने बुलंदियों पे खड़ी दीवार गिरती देखी है।
जिनकी सूरत में अपनी सीरत बनती देखी है,
उन्हीं के इक वार से रग-रग टूटती देखी है।
छल-कपट पर चढ़ी विश्वास की चादर देखी है,
हमने सपनों के महलों की मीनार गिरती देखी है।
अमृत की धार विष में बदलती देखी है,
घाव पर लगी मरहम नासूर बनती देखी है॥
#डॉ. नीलम
परिचय: राजस्थान राज्य के उदयपुर में डॉ. नीलम रहती हैं। ७ दिसम्बर १९५८ आपकी जन्म तारीख तथा जन्म स्थान उदयपुर (राजस्थान)ही है। हिन्दी में आपने पी-एच.डी. करके अजमेर शिक्षा विभाग को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक रुप से भा.वि.परिषद में सक्रिय और अध्यक्ष पद का दायित्व भार निभा रही हैं। आपकी विधा-अतुकांत कविता, अकविता, आशुकाव्य आदि है।
आपके अनुसार जब मन के भाव अक्षरों के मोती बन जाते हैं,तब शब्द-शब्द बना धड़कनों की डोर में पिरोना ही लिखने का उद्देश्य है।
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