हिन्दी में हो न्यायिक कामकाज

0 0
Read Time2 Minute, 23 Second
                    निज भाषा में न्याय की,फिर से जगी है आस । 
                    इस बार मिलेगी अवश्य सफलता,मन में है विश्वास।। 

उच्च न्यायालयों में हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के उपयोग  संबंधी संसदीय समिति के सुझावों पर शीघ्रता से अमल हेतु प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया हैl19-20 फरवरी 2017 को देश के प्रमुख समाचार-पत्रों में छपे समाचार अनुसार कार्मिक, लोक शिकायत,विधि और न्याय संबंधी मामलों की संसदीय समिति ने सभी 24 उच्च न्यायालयों में न्यायिक कामकाज हिन्दी एवं संबंधित राज्य की राजभाषा में किए जाने की सिफारिश की है। उक्त समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में यह कहा गया है कि,इस विषय पर संविधान के अनुच्छेद 348 (2) में स्पष्ट प्रावधान है कि,संबंधित राज्य के राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से हिन्दी/राज्य की राजभाषा मेंकारवाई किए जाने की अनुमति दी जा सकती हैl इस हेतु न्यायालय से विचार-विमर्श करने की आवश्यकतानहीं है। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने  संसदीय समिति के उक्त सुझावों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी,गृहमंत्री  राजनाथ सिंह तथा विधि और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि,भारत सरकार इस पर अतिशीघ्र कारवाई करे। प्रधानमंत्री महोदय को भेजे गए पत्र के साथ समाचार पत्रों की प्रतियाँ,संसदीय समिति की रिपोर्ट तथा कर्नाटक राज्य के कैबिनेट द्वारा पारित पत्र की प्रतियाँ भी संलग्न की गई हैं।

#प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

कितनी बार हुआ है..

Mon Mar 6 , 2017
जाने कितनी बार हुआ है, सदा पीठ पर वार हुआ है। पढ़ा हमारा चेहरा उसने, ज्यूँ कोई अख़बार हुआ है। साज़िश में शामिल था वो ही, जिसका ये आभार हुआ है। डरते क्या हो,देखो छूकर, लोहा कितना धार हुआ है।   परिचय : इंदौर में केट कालोनी निवासी प्रदीप कान्त […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।