खता हुई ही होगी मुझसे

0 0
Read Time1 Minute, 27 Second

devendr soni
अट्ठावन में आते-आते
लगने लगा है,
समा गए हैं मुझमें
बाबूजी मेरे।

हो गई है वही चाल-ढाल
झुक गए हैं कंधे, और,
स्वभाव में आने लगी है नरमी
हाँ,संतोष और असंतोष के बीच
बना रहता है द्वंद जरूर,
उपजा है जो मानसिक थकान
और बेवजह की निराशा से।

करता हूँ महसूस खुद में उनको
जब आती है खांसी या,
घेरने लगती है तकलीफें वही
जो सहते थे वे अक्सर,
और जिन्हें बताने से कतराते थे
उम्र के अंतिम पड़ाव पर।

खता हुई ही होगी
निश्चित ही मुझसे भी,
बरतने की कोताही
किया ही होगा मैंने भी,
जाने-अनजाने नजरअंदाज उन्हें।

लगता है अब यह सब हरदम ही
क्योंकि,होते हैं वे महसूस मुझे,
मेरे अंदर ही।

उम्र का यह अंतिम पड़ाव
सिखाता और याद दिलाता है,
बहुत कुछ स्मृति से उनकी।

होती ही है सबसे जिंदगी में
खता भी और रह ही जाती है,
कोई न कोई कसर भी सेवा में।

करें याद इन्हें और
दें वह शिक्षा बच्चों को अपने,
जिससे न हो कोई गलती
देख-रेख में बुजुर्गों की।

मिलेगा इसी से वह आत्म सुख,
जिसकी दरकार है सबको।
                                                  #देवेन्द्र सोनी

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

बढ़ते जाएँगे

Mon Oct 30 , 2017
भाग्य और पुरुषार्थ का मिल जाए हमें संग, हम बढ़ते ही जाएँगे लेकर मन में नई उमंग। ऊर्जावान तरंगों की गति ले कदम बढ़ाएँगे, राह के काँटों को हम कुचलते ही जाएँगे। राह के पत्थर कब तक हमको गिराएँगे, हम गिरकर उठेंगे,उठकर बढ़ते ही जाएँगे। मंजिल तक पहुँचना ही जो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।