बुत

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sarika bhushan
‘सुनीता कब से बोल रही हूँ,रोटी बनाने क़ो ! सुन ही नहीं रही। इतनी देर से फ़ोन पर किससे बातें कर रही है ?’ रीता झुंझलाते हुए आउटहाउस में सुनीता के कमरे की ओर चली गई।
सुनीता हाथ में मोबाइल पकड़े हुए बुत-सी खड़ी थी और उसकी आँखों से लगातार आंसूओं की धार बाह रही थी।
रीता का सारा गुस्सा पलभर में सुनीता के आंसूओं को देख उतर गया।
रीता के कई बार पूछने पर सुनीता ने पल्लू से आंसूओं को पोंछते हुए बताया- ‘मेमसाब,आज कोलकाता वाली जेठानी का फोन आया था।’
‘हाँ, हाँ वही न,जो बचपन में ही तेरे बेटे को अपना बेटा बनाकर ले गई थी’। रीता ने बड़ी ही उत्सुकता से बीच में ही बात काटते हुए कहा।
‘बड़ी शिकायत कर रही थी मेरे बेटे की। ठीक से नहीं पढ़ता….बात नहीं मानता …देर शाम तक खेलते रहता है और … ‘सुनीता लगातार बोलते-बोलते फफक कर रो पड़ी।
‘और क्या….बोलो तो सही …’, रीता भी भावुक हो गई थी।
‘और मेमसाब,बोल रही थी कि इतने सालों से डेरे का काम कर रहा है,फिर भी दोनों डेरा की मालकिन लोग शिकायत करती है। …..मेमसाब मेरा बेटा १४ साल का हो रहा होगा। मैंने उसे १० साल से नहीं देखा। कलेजे पर पत्थर रखकर बड़े शहर में भेजा कि, पढ़-लिखकर कुछ अच्छी नौकरी कर लेगा। हमारी तरह डेरे का काम तो नहीं करेगा….मगर…..आज पता चला ……।’ बोलते-बोलते सुनीता की आवाज़ भर्रा गई।
अब रीता बुत बन चुकी थी। उसकी आँखों में गहरा सन्नाटा था और उसे सहसा अपने बेटे की याद आ गई,जिसे बचपन में ही उसने अमेरिका में रह रहे अपने भाई-भाभी के पास भेज दिया था।
#सारिका भूषण
परिचय :सारिका भूषण की जन्मतिथि-   १५ अप्रैल १९७६ और जन्मस्थान-  गया(बिहार) है। आपका वर्तमान बसेरा रांची (झारखंड) के अशोक नगर में है। l विज्ञान स्नातक सारिका भूषण-कविता एवं हाइकू सहित लघुकथा,नाटक  तथा कहानी भी रचती हैं। ‘माँ और अन्य कविताएं’ (२०१५) और काव्य संग्रह का  प्रकाशन हुआ है। इसके अलावा भी प्रकाशन हुआ है। आपको नवसृजन साहित्य सम्मान,शिक्षा साहित्य सेवा सम्मान-२०१७,रचना शतकवीर सम्मान-२०१७ आदि हासिल है। बड़ी  उपलब्धि यही है कि,कथादेश अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता २०१६ में नवां स्थान प्राप्त  हुआ है। आपके लेखन का उद्देश्य-परिवेश को सकारात्मकता के दायरे में रखकर खुद को सुकून पहुंचाना है। अपनी लेखनी की बदौलत एक अस्तित्व को जीवित रखने का प्रयास करना और सामाजिक बुराइयों पर प्रहार करते हुए उसकी दशा और दिशा सुदृढ़ करने में योगदान देना है। 

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।