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दोस्त की बहन को बहन ही समझो
जिसके घर एक ही थाली में खाना खाया है
उस दोस्त के मां-बाप की हमेशा इज्जत कर लो
जिनके पांव को हाथ लगाया है,
मजहब जाति धर्म से बढ़कर याराना होता है
मित्रता का मतलब तो बस मित्र का हो जाना होता है
दोस्त वही जो दोस्त को समझें, दोस्ती में कोई मांग नहीं
अपनेपन का नाम मित्रता जिसने कोई अभिमान नहीं
इश्क के रंग से भी ज्यादा याराने का रंग चढ़ता है
यार के सुख-दुख को आंखों में केवल यार ही पढ़ता है
छोटे-मोटे झगड़ों में बेशक कुछ यारआपा खोते हैं
लेकिन जीवन के सुख दुख में यार ही पास में होते हैं
बचपन से लेकर बुढ़ापे तक जाने कितने लोग जीवन में आते हैं
बस चंद यार ही अपने हैं “राणा” जो गंगा जल को पिलाते हैं।
सचिन राणा हीरो
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