धन्य जवान ये वीर भगत सिंह,जिसने स्व कुर्बान किया।
हँसते-हँसते फाँसी चूमा, आजादी हित बलिदान कियाll
स्वतंत्रता के हवन कुण्ड में अपनी आहुति देकर,
इंकलाब के नारे का `मनु`युवा दिलों में आह्वान कियाll
इंकलाब की गूँज उठी,तब हर दिल में बसा तिरंगा था।
जब आजादी की लपटों से मौसम का रंग सुरंगा थाll
भारत माँ भी धन्य हुई तब पहन के चुनर बलिदानी,
जिस चुनर को भगत सिंह ने रंग बंसती रंगा थाll
युवाओं के दिल में मचलता जोश है भगत सिंह।
इंकलाब जिंदाबाद का उद्घोष है भगत सिंहll
गूँगे-बहरे कुशासन को जगाती बुलंद एक आवाज,
जो अंग्रेजी आँधी में भी जलती रही,वो जोत है भगत सिंहll
सरफरोशी की तमन्ना दिल में लिए जो बढ़ चलाl
आजादी की पुस्तकों में अमिट गाथा गढ़ चलाll
मेरी कुर्बानी से जन्मेंगें सैकड़ों भगत सिंह कह-
सौंपने स्वयं को बलिदानी तख्त पर चढ़ चलाll
#मनोज कुमार सामरिया ‘मनु'
परिचय : मनोज कुमार सामरिया `मनु` का जन्म १९८५ में लिसाड़िया( सीकर) में हुआ हैl आप जयपुर के मुरलीपुरा में रहते हैंl बीएड के साथ ही स्नातकोत्तर (हिन्दी साहित्य ) तथा `नेट`(हिन्दी साहित्य) भी किया हुआ हैl करीब सात वर्ष से हिन्दी साहित्य के शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं और मंच संचालन भी करते हैंl लगातार कविता लेखन के साथ ही सामाजिक सरोकारों से जुड़े लेख,वीर रस एंव श्रृंगार रस प्रधान रचनाओं का लेखन भी करते हैंl आपकी रचनाएं कई माध्यम में प्रकाशित होती रहती हैं।