क्यों उठे हाथ दुःशासनों के पक्ष में…

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rameshwar
(काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हो रही घटना पर)
क्या यही अब नीति होगी,
देश और इस काल की।
वह धरा साक्षी बनेगी,
जहाँ भक्ति होती महाकाल की।
है बेटियाँ यदि मान तो,
क्यों हुआ यह अपमान है।
सिसकियाँ अनसुनी रही,
आखिर ये कौन-सा सम्मान है?
चलाना चाहिए घन,
जिन पापियों के वक्ष पे।
क्यों उठे हैं हाथ,
अबकी दुःशासनों के पक्ष में।
है प्रश्न गहरा यक्ष का,
क्यों युधिष्ठिर मौन है?
या है पक्षपात धृतराष्ट्र का,
देख कौरवों को मौन है।
क्यों द्रौपदी पर ही केन्द्रित,
बाजी जीत और हार की।
चीरहरण,यदि विजयी कौरव,
हारे तो फिर से बाजी मान की।
ओ! नीति के निर्धारकों,
ओ! कौरवों के प्रतिपालकों।
क्यों कर रहे हो गुमराह,
एक और सत्य को…॥
                                                                      #रामेश्वर मिश्र
परिचय: रामेश्वर मिश्र वर्तमान में भदोही(उत्तर प्रदेश) में बसे हुए हैं। फिलहाल अभियांत्रिकी के छात्र हैं। कविताएं, कहानी इत्यादि पढ़ना-लिखना आपकी पसंद है।

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