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जिस
माता-पिता ने,
दिया हमें जीवन
फूल जैसा,
किया लालन-पालन
और हमारे,
सभी दु:ख-दर्द ‘बाँटे’।
लानत है,
मनुज की,
इस वृत्ति पर।
बात ही बात में,
उन्हें ताने दे-देकर,
हम ही चुभा रहे, ‘काँटे’
#डा. महेशचन्द्र शांडिल्य
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