संक्रांति त्योहार तीर्थ पुण्य दान। दानी देते तिल गुड भोजन दान।। पशुओं को खिलाकर चारा दान। अतिथि देवो भव: गृह की शान।। यज्ञ अग्नि में करते समिधा दान। पुरोहितों को देते प्रिय वस्तु दान।। कर्ण ने रखा अतिथि पुरंदर मान। इंद्र को दिए कवच कुण्डल दान।। राजा ने दिया बूढ़ी […]