कुछ गोष्ठियाँ कर डालें

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sarla
सुनो,आज हिन्दी दिवस है,
चलो फिर कुछ गोष्ठियाँ कर डालें।
कुछ अपनी जेब में,
कुछ उनकी रखने का जुगाड़ कर डालें।
कुछ बड़ी-बड़ी बातें तुम कहना,
कुछ हम भी चलो कह डालें।
गोष्ठियाँ खत्म होते ही,
फिर अंग्रेजी शराब औ कबाब,
अंग्रेजी फलसफ़ों का पुलिन्दा होगा।
कोई नहीं थोड़ा-सा ही,
चलो दिखावा ही कर डालें।
हिन्दी दिवस है आज चलो,
चार आँसू ही आज रो डालें।
कल तुम भी कहना
आती ही नहीं समझ हिन्दी।
और हम भी हर कहीं,
कल से यही रोना रो डालें।
सुनो,आज हिन्दी दिवस है,
अंग्रेजी में ही कुछ कह डालें॥
                                                                  #डॉ.सरला सिंह

परिचय : डॉ.सरला सिंह का जन्म सुल्तानपुर (उ.प्र.) में हुआ है पर कर्म स्थान दिल्ली है।इलाहबाद बोर्ड से मैट्रिक और इंटर मीडिएट करने के बाद आपने बीए.,एमए.(हिन्दी-इलाहाबाद विवि) और बीएड (पूर्वांचल विवि, उ.प्र.) भी किया है। आप वर्तमान में वरिष्ठ अध्यापिका (हिन्दी) के तौर पर राजकीय उच्च मा.विद्यालय दिल्ली में हैं। 22 वर्षों से शिक्षण कार्य करने वाली डॉ.सरला सिंह लेखन कार्य में लगभग 1 वर्ष से ही हैं,पर 2 पुस्तकें प्रकाशित हो गई हैं। कविता व कहानी विधा में सक्रिय होने से देश भर के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख व कहानियां प्रकाशित होती हैं। काव्य संग्रह (जीवन-पथ),दो सांझा काव्य संग्रह(काव्य-कलश एवं नव काव्यांजलि) आदि पर कार्य जारी है। अनुराधा प्रकाशन(दिल्ली) द्वारा ‘साहित्य सम्मान’ से सम्मानित की जा चुकी हैं।

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One thought on “कुछ गोष्ठियाँ कर डालें

  1. बहुत प्यारी कविता
    हृदयस्पर्शी है

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