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बंधन प्यार का स्वीकार कीजिए,
एक दूजे को सदा प्यार कीजिए।
छोड़ो भी जाति धर्म की लड़ाई,
किसी का न तिरस्कार कीजिए।
वंदन दिलों के रिश्ते दिलों से जोड़ लो,
न टूटे भरोसा ऐतबार कीजिए।
मान करो सदा सम्मान करो,
इज्जत न किसी की तार-तार कीजिए।
बिखेर कर खुशियां बनी मुस्कान रहे,
महकाएं गुलशन बहार कीजिए।
नफरत के शोले दिल से निकाल फेंकिए,
बातों-बातों में न अंगार कीजिए।
हिन्दू-मुस्लिम-सिख-इसाई आपस में हैं भाई-भाई,
यूं न किसी से तकरार कीजिए।
बनी रहे एकता की मिसाल बंधन जोड़ लो,
मेरे वतन को न शर्मसार कीजिए॥
#किशोर छिपेश्वर ‘सागर’
परिचय : किशोर छिपेश्वर ‘सागर’ का वर्तमान निवास मध्यप्रदेश के बालाघाट में वार्ड क्र.२ भटेरा चौकी (सेंट मेरी स्कूल के पीछे)के पास है। आपकी जन्मतिथि १९ जुलाई १९७८ तथा जन्म स्थान-ग्राम डोंगरमाली पोस्ट भेंडारा तह.वारासिवनी (बालाघाट,म.प्र.) है। शिक्षा-एम.ए.(समाजशास्त्र) तक ली है। सम्प्रति भारतीय स्टेट बैंक से है। लेखन में गीत,गजल,कविता,व्यंग्य और पैरोडी रचते हैं तो गायन में भी रुचि है।कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित होती हैं। आपको शीर्षक समिति ने सर्वश्रेठ रचनाकार का सम्मान दिया है। साहित्यिक गतिविधि के अन्तर्गत काव्यगोष्ठी और छोटे मंचों पर काव्य पाठ करते हैं। समाज व देश हित में कार्य करना,सामाजिक उत्थान,देश का विकास,रचनात्मक कार्यों से कुरीतियों को मिटाना,राष्ट्रीयता-भाईचारे की भावना को बढ़ाना ही आपका उद्देश्य है।
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