खौफ में कौम,मौज में हामिद!

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hemendra
बहुसंख्यकों के बीच में अल्पसंख्यकों का वतन की सर्वोच्च आसंदी पर आसीन हो जाना हिन्दुस्तान की सरजमीं के अलावा कहीं दीगर मयस्सर नहीं है। जाके देखिए,उन मुल्कों में जहां अल्पसंख्यकों के लिए नुमाइंदगी तो छोड़िए मर्जी से जीना तक बमुश्किल है। यह हिन्दुस्तान की गंगा-जमना तहजीब की सीख है कि हिन्दु-मुस्लिम-सिख-ईसाई आपस में हैं भाई-भाई। यह भाईचारा, धर्मनिरपेक्षता, सहिष्णुता और सद्भावना लोकतांत्रिक राष्ट्रवाद के वास्ते मुफिद है। ऐसा हम नहीं, हमारा वजूद और इतिहास कहता है। यादे कुर्बानी, शहादत और सिहद्दत के वरदहस्त गुलसितां कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कोहिमा तक सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा अमन-चमन से मुस्तैद है। इरशाद, इकबाल का आगाज `मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना` हिन्दी हैं,हम वतन है यह हिन्दोस्तां हमारा…..` गुले-गुलजार है।
इतर, हामिद अंसारी साहब इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते कि देश की फिजा खुशनुमा है। फ्रिकमंदी में मुखारित उप राष्ट्रपति के तौर पर दूसरा कार्यकाल पूरा होते ही राज्यसभा दूरदर्शन पर गुफ्तगू करते हुए कहा कि, देश के मुस्लिमों में खौफ, बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है। बाशिंदों की भारतीयता पर बेतुके सवाल उठाए जाना गैर वाजिब है। उन्होंने इसे परेशान करने वाला विचार करार देते हुए ताज्जुब जाहिर किया। साथ ही भीड़तंत्र में लोगों की पीट-पीटकर मार डालने की घटनाओं,घर वापसी और तर्कवादियों के कत्लेआमों का हवाला देकर बताया कि,यह भारतीय मूल्यों और लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के बेहद कमजोर होने की पहचान है। बदस्तूर बार-बार राष्ट्रवाद साबित करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। मैं एक भारतीय हूँ,यही काफी है, बतौर सभी अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मुनासिब हो। लिहाजा, असहनशीलता तथा असहिष्णुता का मुद्दा प्रधानमंत्री मोदी और कैबिनेट के सामने भी उठाया था। 
पूर्व उप राष्ट्रपति की इन हिदायतों ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया। इनके मायने अलग-अलग निकालकर हाजिर जवाबी होते देर नहीं लगी। मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने वाकये को दरकिनार करते हुए उच्च संवैधानिक स्थिति पर बैठे लोगों को माहौल खराब करने वाले बयानों से बचने की नसीहत दी। हमारी जिम्मेदारी लोगों को शांति बनाए रखने में मदद करने की होनी चाहिए,न कि अपमानजनक टिप्पणियों से बेचैनी बढ़ाने की। भाजपा के शाहनवाज हुसैन ने मुस्लिमों के लिए पूरी दुनिया में भारत से अच्छा कोई देश नहीं है और हिन्दुओं से बेहतर कोई दोस्त नहीं,जगजाहिर किया। गहमागहमी सही शिवसेना की राय में अगर अंसारी जी को मुस्लिम असहिष्णु,बेचैन और असुरक्षित दिखते हैं तो इस विषय को लेकर उन्होंने पहले ही अपने पद से इस्तीफा क्यों नहीं दे दिया। अब जब वह जा रहे हैं,तब इस तरीके का बयान दे रहे हैं।
काबिले-ए-गौर नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने जोर देकर इजहार किया कि,भारत सबसे सहिष्णु देश है। बे-बुनियाद कुछ लोग राजनीतिक फायदे के लिए अल्पसंख्यकों के मुद्दे उठाते हैं। राजनीति में दुर्भाग्य से 3 सी यानी कैश, कास्ट और कम्युनिटी का बोलबाला है, जबकि इन्हें हटाकर 4 सी यानी चरित्र,क्षमता,दक्षता और आचरण की वापसी होनी चाहिए। असलियत में विविधता में एकता भारत की विशेषता है। तसदीक ही अमिर खुसरो की मशहूर कहावत `दुनिया में कहीं स्वर्ग है तो यही है,यहीं है` सराबोर है।
ऊहापोह में हामिद अंसारी ने जाते-जाते कौम की मौका परस्ती में वतन की कौमी एकता और उपराष्ट्रपति जैसे शान-ए-सिंहासन को आहत कर दिया। जनाब! का कुलीन मजहबी नजरिया इतना ही पाक-साफ था तो खैरियत में मौज के सालों गुजारते वक्त,जुबानी खौफ में जी रही कौम के सूरते हाल दिलो-दिमाग में नहीं आएl जब उगल निगलत पीर पराई हो गई तब दुहाई-दुहाई की मुहाफिज ने दहाड़ लगाई। हमदर्दी में कश्मीरी पंडितों के ख्यालात बेगर्द हो गए। खौफ और मौज की चुहलबाजी में हामिद ने बड़ी होशियारी से राष्ट्रपति या दोबारा उप राष्ट्रपति के ओहदे पर न काबिजी की सियासी खीज छुपाई है। खालिस,दिले हिन्दोस्तां में रोटी-कपड़ा-मकान-शासन-कानून-दवाई-कमाई-पढ़ाई इत्यादि एक समान मुकम्मल है। अलबत्ता,बेमतलबी हायतौबा मचाने के बजाए कौमी रहनुमाई छोड़कर मददगार बनते तो बेहतर होता।    
                                                               #हेमेन्द्र क्षीरसागर           

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