आज धन हो तो शिक्षा होती है,
बिना धन के तो प्रतिभा भी रोती है।
मुझे गर्व है मैं हिन्दुस्तान में रहती हूँ,
फिर क्यूं मेरे देश में केवल अंग्रेजी ही सम्मान से जीती है।
लाख योजना निकल के बन्द कागजों तक सीमित रह जाती है,
इसलिए तो लाखों कला घर की चार दीवारों में रहती है।
क्यूं मैकाले की नीति तक हमारी शिक्षा सीमित रह गई है,
क्यूं वेद-पुराण हो या बाइबल,कुरान की शिक्षा केवल ग्रंथों तक रह गई है।
क्यूं परिवार संस्कार की वो प्रथम पाठशाला केवल बातों तक रह गई है,
क्यूं परिवार की शिक्षा केवल दकियानूसी बातें बनकर रह गई है।
साधना है,पूजा है,शिक्षा क्यूं व्यापार और कारोबार तक सीमित होकर रह गई है,
नालंदा और तक्षशिला की शिक्षा केवल इतिहास बनकर रह गई है।
जवाब मिले तो बता देना-क्यूं मेरे देश की प्रतिभा रो रही है,
जवाब मिले तो बता देना-क्यूं मेरे देश की वास्तविक शिक्षा खो रही है।
परिचय: आरती जैन राजस्थान राज्य के डूंगरपुर में रहती है। आपने अंग्रेजी साहित्य में एमए और बीएड भी किया हुआ है। लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई दूर करना है।