लुटती है पिटती है अभावो में रहती है
संघषों की जिंदगी भी हंसकर सहती है
गमों के सागर मे हरदम वो बहती है
कष्टों को सहकर किसी से ना कहती है
कभी बसों में कभी कारों में हाट बाजारों में
तीज और त्योहारों में मेघ और मल्हारों में
इज्ज़त उतारी है कभी पीटा है मारी है
रोते ही रोते जिसने उम्र ये गुजारी है
जालिम जमाने की करतूते सारी है
औरत तो अबला है बेबस बेचारी है
रोते ही रोते जिसने उम्र ये गुजारी है
जिंदगी सारी पति पे बच्चों पर वारी है
त्याग की मूरत है तपस्या की सूरत है
जीवन मे आज सबको उसकी जरूरत है
मेहंदी लगाएगी खुद को सजाएगी
तबाह हुए सपनो को फिर महकाएगी
भूखी रहेगी प्यास भी सहेगी
उम्मीदों की लहरों मे फिर से बहेगी
अपनी दर्द भरी कहानी ना किसी को सुनाती है
करवाचौथ को पत्नी पति की उम्र क्यों बढाती है।
नमोकार जैन “नमन”
परिचय:
नमोकार जैन “नमन”(साहित्याचार्य)
आत्मज- मुकेश चन्द जैन
गुढाचन्द्र जी,तह.नादौती, जिला करौली (राजस्थान)
वर्तमान पदस्थापना..संस्कृत शिक्षक,मुरैना