कौम-वाद,जाति-वाद,
सम्प्रदाय-वाद,आरक्षण।
जनता का यूँ, कर भक्षण,
और कितनी,रोटी सेकोगे?
सुन-सुन कान,पके हैं सबके,
बोलो कब तक,यूँ फेंकोगे॥
ये असुरक्षित,वो गद्दार,
कोई न वतन का,पहरेदार।
आग लगाकर,अमन-चमन में,
हाथ भला,कब तक सेकोगे?
सुन-सुन कान,पके हैं सबके,
बोलो कब तक,यूँ फेंकोगे॥
भले देश,नष्ट हो जाए,
बस गद्दी इन्हें,मिल जाए।
लोगों की जलती चिता पर,
चने भला,कब तक सेकोगे?
सुन-सुन कान,पके हैं सबके,
बोलो कब तक,यूँ फेंकोगे॥
#शशांक दुबे
परिचय : शशांक दुबे पेशे से उप अभियंता (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना), छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश में पदस्थ है| साथ ही विगत वर्षों से कविता लेखन में भी सक्रिय है |