*वहशी दरिंदे*

0 0
Read Time4 Minute, 0 Second

aditi rusiya
रमेश और विनय दोनों ही अच्छे दोस्ते थे । उनमें बहुत परम था दोस्ती भी इतनी गहरी की आँख बंद कर दोनों एक दूसरे पर विश्वाश किया करते थे ……….

एक दिन रमेश अपनी बेटी को लेने स्कूल गए । परी को स्कूल से लिया रास्ते में ही विनय का फ़ोन आया काय भैय्या कहाँ हों दुकान में कि घरे ! रमेश ने कहा परी को स्कूल लेने आएँ है अबे तो रास्ता में हैं , बोलो का काम है । विनय ने बोला कछु नई रास्ते में मिलत भए जईयो । हओ ठीक है कह कर रमेश ने फ़ोन रख दिया ।

धोडी देर बाद रमेश ने एक दुकान के सामने गाड़ी खड़ी की और अंदर चले गए । परी गाड़ी में ही  बैठी थी । वहाँ अंदर रमेश गए कुछ बातें हुईं तभी अचानक रमेश का फ़ोन बज उठा दुकान से उनके पिता का फ़ोन आया जल्दी आओ थोड़ा काम है । रमेश ने विनीत से कहा यार तुम परी को छोड़ आओ घरे हमें दुकान जाने है विनीत ने हाँ कहा और परी  को अपनी कार में बैठा लिया । पता  नहीं विनीत  क्या सूझी उसने गाड़ी दूसरी ओर घुमा ली एक सुनसान रास्ते की ओर परी  कहा चाचा हम कहा  रहे हैं मुझे घर जाना है । हाँ चलते हैं बस दो मीनिट का काम है । परी  कोमल बाल मन कुछ समझ न  सका ।

विनीत ने झाड़ियों के पास उतर कर
ख़ूब शराब पी और परी के न चाहते हुए भी उसके साथ ज़ोर ज़बरदस्ती की परी चीख़ती रही चिल्लाती रही पर उसका इस वहशी दरिंदे पर कोई असर  हुआ उस हैवानियत के दरिंदे ने  बच्ची को कहीं का न छोड़ा ये भी भूल गया की जिस बेटी के साथ उसने दुष्कर्म किया वो उसकी बेटी की उम्र की है । परी  की साँसे मद्धम पड़ने लगी । परी को उसने झाड़ियों में फेंक दिया ।

उधर परी की माँ ने रमेश को फ़ोन लगाया । आज परी को नहीं लाए आप  ???  परी आ जाएगी । विनीत के साथ भेजा है  हो सकता है घर ले गया हो रिया के साथ खेल रही होगी । फिर भी काफ़ी समय हो गया अब तक तो आ जाना  चाहिए था । आप फ़ोन लगाओ बोलो छोड़ जाएँ  या आप लेकर आओ । रमा का मन बहुत अशांत हो रहा था । रमेश ने विनीत को फ़ोन लगाया उसने फ़ोन नहीं उठाया ।  उठाता भी कैसे वो तो नशे में चूर था । रमेश ने विनीत के घर फ़ोन कर पूछा तो रितु ने कहा ये तो घर आए ही नहीं । अब रमेश को चिंता सताने लगी । पूरा परिवार एकत्रित हो गया चारों ओर फ़ोन लगने लगे ।  सभी डरे हुए थे कोई हादसा तो नहीं गया । सभी किसी सड़क दुर्घटना के बारे में सोच रहे थे । काफ़ी तलाश के बाद हार कर पुलिस में इत्तला दी गई पुलिस की छानबीन शुरू हुई । फ़ोन ट्रेस कर पता लगाया । जिस जगह मोबाइल मिला वो सुनसान इलाक़ा था पुलिस की तलाश के बाद परी की लाश झाड़ियों में मिली । विनीत फ़रार हो गया था ।

*आज अपनो के भेष में भी वहशी दरिंदे घूम रहे है किस किस से हम अपनी लड़कियों को बचा पाएँगे कहा रख पाया विनीत दोस्ती का मान किस पर भरोसा रह पाया आज ?सारे रिश्ते प्रश्न चिन्ह बन रह गए  ????

                   #अदिति रूसिया 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

हमारी याद

Wed Jul 4 , 2018
  हम न होंगे इस जहांन में जब, तुम याद करोगे बीते वो पल अश्रु बन छलकेंगे तब हम यादें बन दिल में धड़केंगे। लिखदी हैं जो चंद तहरीरें अमर यही हो जायेंगी तुम तो याद करोगे हमको गैर भी भूल न पायेंगे। #डॉ लक्ष्मी कुशवाह परिचय लेखिका का नाम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।