कुछ रुखा-सा,कुछ सूखा-सा ,
मोहब्बत में मेरी,बहुत कुछ है टूटा-सा।
कुछ बिखरा हुआ-सा,कुछ संवरा हुआ-सा,
वफ़ाओं के दर्पण में बहुत कुछ है चटखा-सा।
कुछ यादें तेरी कुछ आहें मेरी,
अश्कों से मेरे,बहुत कुछ है पिघला-सा।
वो जाना तेरा,टूट जाना मेरा,
अहसासों का मेरे,कहीं छूट जाना-सा।
लौटकर आने की तेरी उम्मीदों का,
भरभराते हुए बस यूं ही टूट जाना-सा।
अब आस नहीं,कोई प्यास नहीं,
तू आए ना आए,तलाश नहीं
तन्हाई से बनता गया याराना-सा ,
ज़िन्दगी ने गाया ये कैसा तराना-सा॥
#डॉ.समृद्धि शर्मा
परिचय : डॉ.समृद्धि शर्मा की जन्मतिथि-२०नवम्बर १९८१ है। आपकी शिक्षा-विद्या वारिधि(पीएच.डी)सहित अधिस्नातक (हिंदी)और स्नातक (हिंदी मानद )है। आपकी सम्प्रति-हिन्दी अध्यापिका (भारतीय विद्या भवन विद्याश्रम) की है। बतौर लेखिका सम्मान-उपलब्धियां देखें तो राजस्थान के पत्र-पत्रिकाओं में कहानियों का निरंतर प्रकाशन तथा शोध पत्रिका में शोध-पत्र प्रकाशित है। साथ ही दूरदर्शन-आकाशवाणी एवं सांझा काव्य संग्रह ‘शब्द मुखर हैं’ में सहभागिता रही है। आपको काव्य संपर्क सम्मान मिल चुका है। डॉ.शर्मा का निवास राजस्थान राज्य के जयपुर स्थित सूर्य नगर में है।