ये कैसा तराना

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कुछ रुखा-सा,कुछ सूखा-सा ,
मोहब्बत में मेरी,बहुत कुछ है टूटा-सा।
कुछ बिखरा हुआ-सा,कुछ संवरा हुआ-सा,
वफ़ाओं के दर्पण में बहुत कुछ है चटखा-सा।
कुछ यादें तेरी कुछ आहें मेरी,
अश्कों से मेरे,बहुत कुछ है पिघला-सा।
वो जाना तेरा,टूट जाना मेरा,
अहसासों का मेरे,कहीं छूट जाना-सा।
लौटकर आने की तेरी उम्मीदों का,
भरभराते हुए बस यूं ही टूट जाना-सा।
अब आस नहीं,कोई प्यास नहीं,
तू आए ना आए,तलाश नहीं
तन्हाई से बनता गया याराना-सा ,
ज़िन्दगी ने गाया ये कैसा तराना-सा॥

#डॉ.समृद्धि शर्मा 
परिचय : डॉ.समृद्धि शर्मा की जन्मतिथि-२०नवम्बर १९८१ है। आपकी शिक्षा-विद्या वारिधि(पीएच.डी)सहित अधिस्नातक (हिंदी)और स्नातक (हिंदी मानद )है। आपकी सम्प्रति-हिन्दी अध्यापिका (भारतीय विद्या भवन विद्याश्रम) की है। बतौर लेखिका सम्मान-उपलब्धियां देखें तो राजस्थान के पत्र-पत्रिकाओं में कहानियों का निरंतर प्रकाशन तथा शोध पत्रिका में शोध-पत्र प्रकाशित है। साथ ही दूरदर्शन-आकाशवाणी एवं सांझा काव्य संग्रह ‘शब्द मुखर हैं’ में सहभागिता रही है। आपको काव्य संपर्क सम्मान मिल चुका है। डॉ.शर्मा का निवास राजस्थान राज्य के जयपुर स्थित सूर्य नगर में है। 

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।