Read Time34 Second
पाने की चाह में
खोने का डर सताता है
बिना कुछ पाये ही
दिल सहम जाता है
फ़ितरत में जुड़ा है
ये डर जाना सहम जाना
रुका था न रुकेगा
इंसाँ का बहक जाना
लाख दुआएं कर लो
फिर भी फ़ितरत न मिटेगी
ये ज़ोफ़-ए-इंसाँ१ है
जनाज़े तक रहेगी
डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’
शब्दार्थ:
१. ज़ोफ़-ए-इंसाँ- मनुष्य की कमजोरी
#डॉ रूपेश जैन ‘राहत’
Post Views:
426