एक दुआ कुबूल नहीं,अब ख़ुदा भी बवाल हो गया ll
उससे मिलना तो छोड़िए, ख्वाबों में भी नहीं आता।
सहर न आई कोई,उसको सुने एक साल हो गया ll
बड़ी दूर निकल आया हूँ मैं इस वीराने बंजर में।
थक गया हूँ मैं ये हाल-ऐ-दिल भी बेहाल हो गया ll
बचा रखा हो अगर मेरी खातिर अपने जाम में तुमने।
लाओ सुकूं पिलाओ सांसों को,अब जमाल हो गया ll
बड़ी शिद्दत की,सीखना चाहा इस दिल के गणित को।
सुलझा न पाया इसे,मैं खुद ही एक सवाल हो गया ll
पत्थरों का जमावड़ा है इस कदर इस राह में `मित्रा`।
कैसे चले दरिया,चलना भी अब मुहाल हो गया ll
#हिमांशु मित्रा’रवि’
परिचय: हिमांशु मित्रा उत्तरप्रदेश राज्य के शिवपुरी (लखीमपुर खीरी) में रहते हैंl आपकी उम्र २० वर्ष तथा स्नातक उत्तीर्ण हैंl आप हिन्दी में लिखने का शौक रखते हैंl