नमस्कार,
समझ नहीं आता कि,कैसे और कहाँ से शुरु करुं, आखिरकार आप लोगों की करस्तानियाँ ही कुछ ऐसी हैं। आप कॉलेजों के बाहर,गलियों के मुहानों तथा नुक्कड़ों पर मिलने वाली वही महान विभूतियाँ हैं,जो लड़कियों का जीना हराम कर देते हैं।
यूँ ही आवारागर्दी करते-करते आप को कोई भोली-भाली लड़की पसंद आ जाती है। कुछ दिनों तक आप उसे राह चलते देख देख कर आँख सेकते हैं (आपकी भाषा में),फिर उसका नाम पता करते हैं। अब आप उस लड़की से न जाने किस सस्ते टाइप का प्यार करने लगते हैं, जिसके मूल में देहाकर्षण ही होता है,परंतु आप इसे सच्चे प्यार का नाम देते हैं। अब आप उसे पाने के लिए जमीन-आसमान एक करने लगते हैं। अपने दोस्तों वगैरह से बताते फिरते हैं,सिवाय उस लड़की को बताने के।
एक दिन वो भी आता है कि,आप अपने दोस्तों की बात मान लेते हैं और बहुत हिम्मत करके अपना हाल-ए- दिल उस लड़की को बता देते हैं,परंतु यह क्या …………? वो लड़की आपसे प्यार करने से इन्कार कर देती है।
अब आपके अहंकार को ठेस पंहुचती है,आप सोचते हैं कि,उस लड़की की इतनी हिम्मत कैसे हुई, उसने आपको ना बोल दिया?आखिर उसने इंकार किया भी तो कैसे ?
आप सोचें भी क्यों नहीं, आखिर में आप तो उस लड़की को अपने बाप की जागीर समझते हैं कि, आपको वो पसन्द आई तो वो आपकी बात माने ही माने। आप तो उसे बाजार में मिलने वाली कोई वास्तु समझते हैं कि,अगर माल पसन्द आया तो बस दाम चुकता किया और लेकर चल दिए..मगर अफ़सोस, इस बार तो आपको कोई ऐसा पसन्द आ गया है जो किसी बाजार में मिलता ही नहीं, तो आपको कैसे मिले ?
अब आपको बहुत गुस्सा आता है और आपके शैतानी दिमाग में यह विचार आता है कि,जब वो लड़की आपकी न हुई तो आप उसे किसी और का भी नहीं होने देंगे। यहीं पर एक गंभीर किस्म की आपराधिक भावना आपके मन मंदिर में जन्म ले लेती है,और आप तेजाब द्वारा उस लड़की के तन और उससे भी अधिक सुन्दर मन को जला देने की योजना बना डालते हैं, या फिर किसी अन्य आपराधिक विधि द्वारा उस लड़की पर हमला करके उसके गुरुर को तोड़ने का प्रयत्न करना चाहते हैं,जबकि हकीकत तो कुछ और ही होती है।
ये गुरुर उस कोमल हृदया के मन में न होकर आपके हृदय में होता है,जिसका साक्षात् प्रमाण आपके उसे आघात पँहुचाने के विचार ही हैं।
चलिए, एक बार आप उस लड़की के स्थान पर अपनी बहन को रखकर सोचिये या फिर कल्पना कीजिए कि, अगर कभी ऐसा हो कि,आप ही वो लड़की हैं और कोई अंजान-सा आवारा लड़का आकर आपसे प्रणय निवेदन करे और जबरन ही आपसे प्रेम का रिश्ता बनाने को कहे तो आपको कैसा महसूस होगा,क्या आप उस लड़के की बात मान लेंगे ?
नहीं न,सोचिए…जब आप नहीं मान सकते तो और कोई कैसे मानेगा ?
नफरत तो होगी ही न ऐसे लोगों से। बस यही भावना उस लड़की के मन में भी आ जाती है,जब आप उसके साथ जबरदस्ती प्यार का बर्ताव करते हैं।
चलिए,उठिए,अपने इस झूठे प्रेम की बावड़ी से बाहर निकलिए। अपनी वासना और जिद को अपने मन मंदिर से निकाल के दूर फेंकिए और अपने समय और शक्ति का सदुपयोग करके अपने आपको ऐसी शख्शियत बनाइए कि,जो लड़की आज आपको अस्वीकार कर गई है,वो कल अपने फैसले पर पछताए,यानी आपको पाने का सपना देखे। ऐसा हुआ तो, आपको लोगों के सामने शर्म से सिर नहीं झुकाना पड़ेगा,और लोग आपकी नजीर देंगें।
उम्मीद है कि,आगे से आप झूठे प्रेम के लिए किसी लड़की को डराएंगे नहीं,उनके पंख को कतरा नहीं जाएगा और उन्हें उन्मुक्त गगन में स्वच्छंद विचरण करने दिया जाएगा। तभी सही मायनों में महिला को बराबरी और सम्मान की सार्थकता जाहिर होगी।
#सुमित कुमार सोनी ‘शान’
परिचय : 1995 में जन्मे हैं और विद्यार्थी हैं। आपने परास्नातक (रसायन शास्त्र) की शिक्षा प्राप्त की है। उत्तर प्रदेश के ग्राम चन्दवक( जिला जौनपुर) में रहते हैं।आप लेखन विधा में शौक से कार्यरत हैं।