बस इंकलाब ला

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akila bano
न हिजरत कर…… न आँसू बहा,
अगर करना है कुछ,तो बस इंकलाब ला।
ये सिस्टम है……नामर्दों का,
जरूरत है जवानों की,अब जाग जा.. अब जाग जा।
यहाँ बिकती है कुर्सी,यहाँ शासन लुटेरों का,
ये पहुँचे हैं यहाँ तक,बेच कर अपना ईमां
न हिजरत कर……. न आँसू बहा..
अगर करना है कुछ, तो बस इंकलाब ला॥
यहाँ होता है सौदा,ईमानों का,उसूलों का,
होता है क़त्ल यहाँ,मज़लूमों की आहों का।
मौत यहाँ पर बँटती है,और ज़िंदगी सस्ती है,
यहाँ इंसान की कीमत है,दौलत के तराज़ू में।
न हिजरत कर….. न आँसू बहा..
अगर करना है कुछ,तो बस इंकलाब ला॥
यहाँ नफरत के घरौंदे हैं,यहाँ प्यार वफा सब बिकता है,
यहाँ आँगन में दीवारें खिंचती हैं,हिन्दू- मुसलमाँ बँटता है।
ख्वाबों की तिजारत होती है,हर ख्वाब यहाँ पर बिकता है
यहाँ रुपए के भावों पर,प्रतिभा का दाम लगता है।
न हिजरत कर…… न आँसू बहा..
कुछ करना है तो, बस इंकलाब ला॥
यहाँ रक्षक ही सब भक्षक हैं,
यहाँ अस्मत के….. लुटेरे हैं।
यहाँ चीर हरण अब खेल है आम,
अब हर मर्द यहाँ दु:शासन है।
न हिजरत कर न….. आँसू बहा..
कुछ करना है तो, बस इंकलाब ला॥
                                                                                                 #अकीला बानो
परिचय : अकीला बानो उत्तर प्रदेश राज्य के नवाबी शहर लखनऊ से हैं। आप शौकियाना लिखती हैं। मानस  नगर कानपुर रोड पर रहती हैं। रचना में हिन्दी के साथ उर्दू शब्द भी वापरती हैं।

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