*दोहा छंद विधान* 

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babulal sharma

आओ दोहा सीखलें,शारद माँ चितलाय।
सीख छंद दोहा रचें,श्रेष्ठ सृजन हो जाय।।
💫
ग्यारह तेरह मात्रिका, दो चरणों में आय।
चार चरण का छंद है,दोहा सुघड़ कहाय।।
💫
प्रथम तीसरे चरण में,तेरह मात्रा आय।
दूजे चौथे  में गिनो, ये ग्यारह रह जाय।।
💫
चौबिस मात्रिक छंद है,कुलअड़तालिस होय।
सुन्दर दोहे जो लिखे, सत साहित्यिक कोय।।
.     💫          ✍✍
दोहा चार चरणों का मात्रिक छंद होता है।
प्रथम व तृतीय चरण में 13,13 मात्राएँ होती है।
द्वितीय व चतुर्थ चरण में 11,11मात्राएँ होती है।

1.💫
प्रथम व तीसरे चरणांत
में 212 (जैसे-मान है )
या 111{जैसे — कमल)

2..💫
दूसरे व चौथे चरणांत में
2 1(जैसे आव,मान,आमान अवसान)

3..💫
प्रथम व तीसरे चरण की शुरूआत कभी भी 5 मात्रा वाले शब्द से न हो।

4.💫
तर्ज में गुनगुना कर देखें लय भंग हो तो बदलाव करें।
मात्रा स्वतः ही सही हो जाएगी।

5..💫
प्रथम व तृतीय चरण की शुरुआत जगण से (121) न हो। महेश,सुरेश,दिनेश ,गणेश आदि देव नाम मान्य है बाकी नही।।
💫
शेष जानकारी व गूढ़ नियम आप बाद में जुटा सकते है।  लिखना शुरु करें🙏🙏
*जैसे…..*
ऋचा बड़ा शुभ नाम है, वेदों जैसी भाष।
1 2  1 2  1 1  2 1 2,  2 2  2 2 2 1
.            13.             ,             11
हिन्दी बिन्दी सम रखे,हरियाणा शुभ वास।।
2 2  2 2  1 1  1 2,1 1 2 2  1 1  2 1
.               13       ,          11
इस तरह सीखे👆.                 .~~~बाबूलालशर्मा
.       *दोहा छंद विधान*
.          💫
मात शारदा सुमिर के, सुमिरो  देव गणेश।
कविता दोहा सीखिए,सुन्दर सुमिर महेश।।
.          💫
दोहा छंदो मे लिखो ,कविजन अपनी बात।
तेरह ग्यारह मातरा, अड़तालिस  हो जात।।
.          💫
प्रथम  तीसरे   चरण  में, तेरह  मात्रा  पूर।
गुरु लघु गुरु चरणांत हो,भाव भरे भरपूर।।
.          💫
विषम चरण के अंत में,लघुलघुलघु भी होय।
लय में गाकर देख लो, लय बाधा नहि होय।।
.          💫
द्वितीय चौथे  चरण  में, ग्यारह  मात्रा  होय।
सम चरणों  के अंत में,गुरु लघु  मात्रा जोय।।
.          💫
पचकल से न शुरू करे,विषमचरणकविराइ।
भाषा  भावों  में  भरो, देख   लीजिए  गाइ।।
.          💫
विषम चरण प्रारंभ में,जगण दोष नहि आय।
नाम  देव के होय तो, जगण दोष बचि पाय।।
.          💫
चौकल से चौकल सजे,
.       त्रिकल त्रिकल से सोय।
भाव भरे  मन  में  रचे,
.          दोहे  सुन्दर  होय।।
.          💫
सम चरणों के अंत में,जो पचकल आजाय।
दोहा भी सुन्दर लगे, सृजन सुघड़ हो जाय।।
.          💫
दोहा  छंदो में  लिखा ,दोहा  छंद  विधान।
शर्मा  बाबू लाल ने, सीखें  रहित  गुमान।।

नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

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