हे शिव शम्भू

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sushil
हे शिव शम्भू इस श्रावण में कैसे तेरा गुण गान करुं।
भक्तों की लाशों पर चढ़कर कैसे तुझे प्रणाम करुं॥
निर्दोषों की बलि चढ़ाकर अत्याचारी मुस्काते हैं।
तेरे मंदिर के रस्ते में मासूम गोली से भूने जाते हैं।
हे शिव शंकर आतंकी मंसूबों को कैसे नाकाम करुं।
भक्तों की लाशों पर चढ़कर कैसे तुझे प्रणाम करुं।
तेरे चरणों की भक्ति प्राणों का संताप हरे।
तेरी पूजा इस जीवन में नव ऊर्जा संचार करे।
हे शिव शंकर इन दुष्टों का कैसे काम तमाम करुं।
भक्तों की लाशों पर चढ़कर कैसे तुझे प्रणाम करुं।
इस सावन में हे प्रभु जी मेरी ये सुनवाई हो।
जिंदा दफन हो जाए जमीं में जिसने गोली चलाई हो।
दुष्ट दरिंदों का मैं कैसे कत्ले आम करुं।
भक्तों की लाशों पर चढ़कर कैसे तुझे प्रणाम करुं।
हे शिव शम्भू इस श्रावण में कैसे तेरा गुण गान करुं।
भक्तों की लाशों पर चढ़कर कैसे तुझे प्रणाम करुं॥

                                                                                #सुशील शर्मा

परिचय : सुशील कुमार शर्मा की संप्रति शासकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय(गाडरवारा,मध्यप्रदेश)में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) की है।जिला नरसिंहपुर के गाडरवारा में बसे हुए श्री शर्मा ने एम.टेक.और एम.ए. की पढ़ाई की है। साहित्य से आपका इतना नाता है कि,५ पुस्तकें प्रकाशित(गीत विप्लव,विज्ञान के आलेख,दरकती संवेदनाएं,सामाजिक सरोकार और कोरे पन्ने होने वाली हैं। आपकी साहित्यिक यात्रा के तहत देश-विदेश की विभिन्न पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में करीब ८०० रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। इंटरनेशनल रिसर्च जनरल में भी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है।
पुरस्कार व सम्मान के रुप में विपिन जोशी राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान ‘द्रोणाचार्य सम्मान-२०१२’, सद्भावना सम्मान २००७,रचना रजत प्रतिभा

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