‘तीन घंटे’

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veena

उस दिन शर्मा जी के यहाँ बहुत चहल-पहल थी। ऊपर वाले गेस्ट रूम की सफाई हो रही थी। दीवारों पर कौन -सा रंग लगाया जाए,इस बात पर बहस हो रही थी और हो भी क्यों न, तीन साल बाद उनका बेटा सिद्धान्त जो आ रहा था जर्मनी से।मिसेज शर्मा ने अपने बेटे की पसंद की लौकी की खीर,आलू बड़ी की सब्जी और न जाने किन-किन चीजों की लिस्ट बना डाली। सुनो सिद्धान्त को यह कितना पसंद था, वो ये कितने चाव से खाता था..पता नहीं, जर्मनी में उसे यह सब मिलता भी होगा या नहीं! टेबल पर वो हमेशा टीवी के सामने वाली चेयर पर ही बैठता था। शर्मा जी और मिसेज शर्मा की सूनी पड़ी जिंदगी में कुछ हलचल-सी हो गई थी। बोले-अब 6 तारीख को दिन ही कितने बचे हैं। उनकी उलटी गिनती शुरु हो चुकी थी ।
आखिर 6 तारीख भी आ गई। तड़के उसकी फ्लाइट थी। रात भर पति- पत्नी ने जाग कर बिताई। सुबह टेलीफोन की घंटी बजी-पापा में सिद्धान्त बोल रहा हूँ, मैं कुछ घंटों के लिए ही इण्डिया आया हूँ, क्यों न आप और मम्मी मुझसे होटल में ही आकर मिल लेते, खामखां घर तक आने जाने में 3 घंटे वेस्ट हो जाएंगे…ठीक है बाय….।

                #वीना सक्सेना

परिचय : इंदौर से मध्यप्रदेश तक में  समाजसेवी के तौर पर श्रीमती वीना सक्सेना की पहचान है। अन्य प्रान्तों में भी आप 20 से अधिक वर्ष से समाजसेवा में सक्रिय हैं। मन के भावों को कलम से अभिव्यक्ति देने में माहिर श्रीमती सक्सेना को कैदी महिलाओं औऱ फुटपाथी बच्चों को संस्कार शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। आपने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है।आपकी रचनाएं अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुक़ी हैं।  आप अच्छी साहित्यकार के साथ ही  विश्वविद्यालय स्तर पर टेनिस टूर्नामेंट चैम्पियन भी रही हैं। कायस्थ गौरव और कायस्थ प्रतिभा से अंलकृत वीना  सक्सेना के कार्यक्रम आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भी प्रसारित हुए हैं।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।