तूफान

0 0
Read Time2 Minute, 51 Second
gulab
सागर में चाहें आए तूफान,
तब भी जीवन की नैया,
पार कर लूँगा मैं।
आपके साथ पाताल से,
गगन तक छा जाऊंगा मैं।
कुछ ऐसा कर दूँगा मैं,
     मेरी याद न मिटे।
चाहे फूल जंगल का हो,
   सुवास भर दूँगा मैं।
रेखाओं से बनाया है,
महल सपनों का,
यदि नसीब ने साथ न दिया,
तो भी सपने सच कर दूँगा मैं।
किस्मत कैद है मेरी बंद मुठ्ठी में,
दुनिया के सामने,
अपनी मुट्ठी खोल दूँगा मैं।
जिंदगी और बंदगी दोनों समझा नहीं,
आपको खुश करने की,
थोड़ी कोशिश कर लूँगा मैं।
थक जाए चाहे मेरी आँगुलियां,
तब भी गिन न सकोगी,
इतने स्वप्न सज़ा दूँगा मैं॥

                                                                    #गुलाबचन्द पटेल

परिचय : गांधी नगर निवासी गुलाबचन्द पटेल की पहचान कवि,लेखक और अनुवादक के साथ ही गुजरात में नशा मुक्ति अभियान के प्रणेता की भी है। हरि कृपा काव्य संग्रह हिन्दी और गुजराती भाषा में प्रकाशित हुआ है तो,’मौत का मुकाबला’ अनुवादित किया है। आपकी कहानियाँ अनुवादित होने के साथ ही प्रकाशन की प्रक्रिया में है। हिन्दी साहित्य सम्मेलन(प्रयाग)की ओर से हिन्दी साहित्य सम्मेलन में मुंबई,नागपुर और शिलांग में आलेख प्रस्तुत किया है। आपने शिक्षा का माध्यम मातृभाषा एवं राष्ट्रीय विकास में हिन्दी साहित्य की भूमिका विषय पर आलेख भी प्रस्तुत किया है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय(दिल्ली)द्वारा आयोजित हिन्दी नव लेखक शिविरों में दार्जिलिंग,पुणे,केरल,हरिद्वार और हैदराबाद में हिस्सा लिया है। हिन्दी के साथ ही आपका गुजराती लेखन भी जारी है। नशा मुक्ति अभियान के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी दवारा भी आपको सम्मानित किया जा चुका है तो,गुजरात की राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल ने ‘धरती रत्न’ सम्मान दिया है। गुजराती में ‘चलो व्‍यसन मुक्‍त स्कूल एवं कॉलेज का निर्माण करें’ सहित व्‍यसन मुक्ति के लिए काफी लिखा है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

मातृभाषा हिन्दी

Fri Jul 14 , 2017
मुझे क्यों भुला रहे हो,          दूर तुमसे जा रही हूँ.. क्यों नहीं बुला रहे हो,           अपनी मैं हूँ तुम्हारी.. पहले थी मैं सबको प्यारी,        बेजुबाँ तुम लोग थे जब.. बोलना मैंने सिखाया, बहन देवनागरी ने कैसे लिखना है […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।