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मिल गए नैन से नैन, भरमा गए,
जग हमारे दिलों बीच अरमा गए।
मैं उन्हें देखकर क्या करूँ,क्या कहूँ,
देखकर वे मुझे,आज शरमा गए॥
फलक से पूर्णिमा का चाँद धरती पर उतारा है,
बहुत मासूम सुन्दर शुभ्र कोमल और प्यारा है।
भला कैसे बना दूँ मैं उसे गुलजार-ए-महफ़िल,
कई रातों को उठ-उठकर जिसे मैंने निहारा है॥
#विनय शुक्ला
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