कल आज और कल

0 0
Read Time1 Minute, 33 Second

एक वो जमाना था
जिसमें आदर सत्कार था।
एक ये जमाना है
जिसमें कुछ नहीं बचा।
दोनों जमाने में यारो
अन्तर बहुत है।
इसलिए तो घरों में
अब संस्कार नहीं बचे।।

मांबाप छ: बच्चों का
पालन पोशण कर देते थे।
और छ: बच्चे मिलकर
मांबाप को नहीं रख पाते।
उन्हें बृध्दाश्रम में छोड़कर
अपना फर्ज निभाते है।
और फिर भी पुत्र
उन्ही के कहलाते है।।

यही काम माँबाप ने
बच्चों के साथ किया होता।
और यश करने के लिए तुमसे मुंह मोड़ लेते।
और छोड़कर पालनघर में
अपना फर्ज निभाते।
तो क्या आज तुम
इस मुकाम पर पहुंच पाते।।

कितनी सोच का अंतर
तब अब में हो गया।
रिश्तो में भी मिठास
अब वो कहा बची।
ये सब कुछ आज की चकाचौंध का असर है।
इसलिए बच्चे मांबाप को अपने से दूर कर रहे है।।

हमें अब दिखाने लगा है
दायित्वों कर्तव्यों का अंतर।
इसलिए तो खुदके बच्चो को भी आया पाल रही है।
तो फिर कैसे दिलमें रहेगा
मांबाप के लिए अपनापन।
इसलिए तो बड़ेबूढ़े कह गये
जो बोया है वही तो काटोगे।
और खुदको भी आश्रम में
अपने मांबाप की तरह पाओगें।।

जय जिनेन्द्र देव
संजय जैन (मुम्बई)

matruadmin

Next Post

भीगा-भीगा प्रेम

Fri Oct 2 , 2020
“कभी-कभी बहुत छोटी सी बात ग्रंथि बन जाती है जो बाद में किसी न किसी बीमारी के रूप में बाहर आती है इसलिए मन की बात कह देना बहुत जरूरी है ।आज मौका है आपके लिए अगर आप किसी को सॉरी बोलना चहाते हैं तो घबराएं नहीं, कहकर खुद को […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।