एसिड हमला

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kumari archana
‘ना’ कहने की मिली इतनी बड़ी सजा,
जो एक खौफनाक परछाई बनकर मेरे सपनों का सदा ही करती रहती पीछा।
हाँ कहती तो भी लूटते मुझे,बाद में अपशिष्ट समझ फेंक देते।
प्यार तो दिल से होता है,
कोई जोर-जबर्दस्ती नहीं
मैं कैसे  ‘हाँ’ कह देती उसको,
‘ना’ कह दी जब मैंने
बीच सड़क पर लगा मेरा हाथ पकड़ झूठा प्यार जताने,
जब सखी संग मैं स्कूल जा रही थी।
फिर कई दिनों तक वो भेड़िया,
शिकार की ताक में चुप बैठा रहा
फिर एक दिन संध्या वापसी पर,
सुनसान रास्ते पर जब अकेली घर जा रही थी,
पीछे से आकर धर दबोचा
गाड़ी चलाते आए दो मनचले,
एसिड की भरी बोतल मेरे चहरे पे दे मारी,
जाते-जाते बोले ‘मेरी नहीं हुई तो,
किसी की नहीं’…
बड़ी चमकती थी अपने रुप पर,
अब ले अपना चेहरा खुद देखती रह जिंदगी भर।
पलभर में झुलस गया मेरा चेहरा व सीना,
उतर गई चमड़ी धीरे-धीरे
आँसू आँखों से ही नहीं,
दिल से भी बहे
पर देख न पाए वो दरिन्दे
जब जलन से तड़पी मैं,
मेरे शरीर की चमड़ी के साथ
मेरी आत्मा भी जल गई।
बच तो गई पर आईना मेरा
रुप देखने लायक ना रहा,
कई इलाज के बाद भी
मैं वो न हो सकी जो पहले थी।
कौन ब्याह ले जाएगा मुझे,
जब रुपवती लड़कियाँ शिक्षा-संस्कार
के बाद भी
बिन दहेज के ससुराल नहीं जा पाती,
फिर मुझे कौन ले जाएगा।
फिर एक दिन मानव रुप में
एक फरिश्ता मुझे संगिनी बनाने को आता,
फिर खुशियों से मेरी झोली को भर देता।
फिर से एसिड हमला वो किसी मासूम लड़की पर न कर दें,
मैंने उनको हवालात की हवा खिलवाई
पर इतना ही काफी नहीं है,
होनी चाहिए इनको बड़ी सजा व जुर्माना भी।
जब ऐसे मनचले मिलें रास्तों पर,
पहले से ही तुम हो जाओ सावधान लड़कियों..
झटपट पुलिस में उसकी रिपोर्ट लिखाओ।
अपनी सुरक्षा के लिए ग़र हुआ जरूरी तो,
एसिड की बोतल उसके चेहरे पर भी दे मारो..
रूप पल में कैसे बदरंग हो जाता
कैसी जलन एसिड की होती,
कैसा दर्द पीड़ित पीता..
उसको भी हो जाए मालूम!।

                                                                          #कुमारी अर्चना

परिचय: कुमारी अर्चना वर्तमान में राजनीतिक शास्त्र में शोधार्थी है। साथ ही लेखन जारी है यानि विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में निरंतर लिखती हैं। आप बिहार के जिला हरिश्चन्द्रपुर(पूर्णियाँ) की निवासी हैं।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।