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कारण जो बर्बादी के हैं,
वही पूछते कारण बोल।
बेइमान के हाथ तराजू,
मनचाहे बांटों से तौल॥
जिसकी लाठी भैंस उसी की,
जंगलराज हुआ आबाद।
डोली उनके ही हाथों में,
दुल्हन नहीं क्यों हो बर्बाद॥
रंग बदलते मानव-सम्मुख,
गिरगिट भी अब रहा लजाय।
अब तो जागो मीत हमारे,
अवध सभी को रहा जगाय ll
#अवधेश कुमार ‘अवध’
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