वाह रे तारीखों का दौर इतना लंबा होगा
इंसान क्या भगवान को भटकना होगा।
मनमौजी से बढती तारीखों का सबाल
हाजिरी तेरी भी लगेगी आखिर तुम्हें
भी तो एक दिन वही जाना होगा।
बढते तारीखों के दरम्यान
वजूद उनकी न मिटने वाली
जीतने तारीखें दे डालो
पर मंदिर नही टलने वाली।
तारीखो में उलझाकर क्या पाओगे
राम को रावण नहीं टाल सका
तो तुम क्या टाल पाओगे।
एक हनुमान से जली लंका
फिर क्यों उकसाते हो
यहां तो घर-घर में फैला हनुमान हैं
क्यों उन्हें जगाते हो।
है यह श्रीराम का देश,पढ लेना यह संदेश
तारीखो को बंद करो,ले आओ शुभ संदेश अब न चैन मिलेगा,तारीखो में न घिरेगा
तारीखें तो तारीख है,श्रीराम ही वारिस है
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति