दलों को बार बार आईना दिखाती रुड़की, चौथी बार जिताया निर्दलीय मेयर

0 0
Read Time11 Minute, 35 Second

दलों पर विश्वास नही रहा
सच यही अब तो जान
एक बार नही चौथी बार
निर्दलीयों ने डंका बजाया
जो टिकट पर लड़े दलों से
उन्हें हार का स्वाद चखाया
टिकट देने में जब तक
दल करते रहेंगे मनमानी
जनता अपनी ताकत से
रचती रहेगी विजय कहानी।

घनत्व की दृष्टि से दुनिया मे सबसे अधिक इंजीनियरों की धरती रुड़की का लोकतांत्रिक मिजाज भी अलग है।नगर निकाय चुनाव में राजनीतिक दलों की सत्ता पाने की ललक लाख प्रयास करने पर भी पूरी नही हो पा रही है।मनमाफिक परिसीमन के लिए और भाजपा के विरोधी वर्ग विशेष से जुड़े रुड़की के समीपवर्ती गांव रामपुर व पाडली गुर्जर को महानगर निगम की परिधि से बाहर कर दूरस्थ आसफनगर को निगम में शामिल कराने के चक्कर मे डेढ़ वर्ष देरी से हुए रुड़की नगर निगम चुनाव में रुड़की की जनता ने
निर्दलीयों को नगर कमान सौंपी है।लगता है राजनीतिक दल रुड़की की जनता का विश्वास खो चुके है।तभी तो नगरपालिका के रूप में अध्यक्ष पद पर कांग्रेस विद्रोही निर्दलीय दिनेश कौशिक,भाजपा विद्रोही निर्दलीय प्रदीप बत्रा और नगर निगम बनने पर भाजपा विद्रोही निर्दलीय यशपाल राणा को प्रथम मेयर बनाने वाली रुड़की ने भाजपा विद्रोही निर्दलीय गौरव गोयल को जीताकर अपना दूसरा मेयर चुन लिया है।इसके साथ ही 40 में से 20 पार्षदों का निर्दलीय चुना जाना इस बात का प्रमाण है कि रुड़की के लोग किसी दल की नही निर्दलीयों की छोटी सरकार बनाने के पक्षधर है।इन 40 पार्षदों में 17 भाजपा ,2 कांग्रेस व एक बसपा से चुने गए है।जिनकी सूची निम्नवत है-

1- अंजू देवी बसपा
2- राजेश्वरी कश्यप भाजपा
3- देवकी जोशी निर्दलीय
4- पूनम देवी निर्दलीय
5- दया शर्मा भाजपा
6- राखी शर्मा भाजपा
7- रविन्द्र खन्ना बेबी निर्दलीय
8- वीरेंद्र गुप्ता निर्दलीय
9- मयंक पाल भाजपा
10- प्रमोद पाल निर्दलीय
11- विवेक चौधरी भाजपा
12- सचिन चौधरी निर्दलीय
13- नवनीत शर्मा निर्दलीय
14- हेमा बिष्ट भाजपा
15- नीतू शर्मा निर्दलीय
16- अंकित चौधरी निर्दलीय
17- मीनाक्षी तोमर भाजपा
18- स्वाति चौधरी भाजपा
19- गीता चौधरी निर्दलीय
20- राजेश देवी भाजपा
21- विनीता रावत निर्दलीय
22- शिवानी कश्यप भाजपा
23- धिराज सिंह निर्दलीय
24- सपना धारीवाल भाजपा
25- पंकज सतेजा भाजपा
26- राकेश गर्ग भाजपा
27- शक्ति राणा निर्दलीय
28- अनूप सिंह भाजपा
29- धीरज पाल निर्दलीय
30- चारु चंद कांग्रेस
31- चंद्रप्रकाश बाटा निर्दलीय
32- आशीष अग्रवाल कांग्रेस
33- संजीव राय भाजपा
34- मोहसिन निर्दलीय
35- रेशमा परवीन निर्दलीय
36- जावेद निर्दलीय
37- नितिन त्यागी निर्दलीय
38- मंजू भारती भाजपा
39- मुंतज़िर निर्दलीय
40- मनोज कुमार। भाजपा

रुड़की नगर निगम चुनाव में मेयर पद पर भाजपा से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी गौरव गोयल ने 3451 वोटों से जीत दर्ज की है। उन्हें 29080 वोट मिले। जबकि कांग्रेस प्रत्यााशी रिशु राणा 25629 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर तो भाजपा प्रत्याशी मयंक गुप्ता 19142 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे ।
22 नवंबर को रुड़की नगर निगम मतदान के बाद 24 नवम्बर को मेयर और पार्षद प्रत्याशियों के पदों पर मतगणना भारी सुरक्षा के बीच संपन्न हुई। मतगणना चार चरणों में पूरी हुई।
रुड़की नगर निगम के चुनाव में 64.47 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर मेयर के 10 और पार्षदों के 212 प्रत्याशियों का भाग्य 22 नवंबर को मतपेटियों में बंद कर दिया था। मेयर पद के प्रत्याशियो में,
मयंक गुप्ता- भाजपा
राजेंद्र बाडी- बसपा
रिशु राणा- कांग्रेस
गौरव गोयल- निर्दलीय
अब्दुस्सलाम- आम आदमी पार्टी
आदेश त्यागी- निर्दलीय
सुभाष सैनी- निर्दलीय
दीपक कुमार- निर्दलीय
स्वाति कालरा- निर्दलीय
चंद्र प्रकाश बाटा -निर्दलीय
चुनाव मैदान में थे जिनमें से भाजपा विद्रोही निर्दलीय प्रत्याशी चन्द्र प्रकाश बाटा ने बाद मेंभाजपा को समर्थन दे दिया था।लेकिन वह पार्षद पद पर अपनी पत्नी के साथ निर्दलीय ही चुनाव मैदान में डटे रहे।राज्य स्तर नगर निगम मेयरों का आंकलन करे तो
मेयर की 7 सीटों में से पांच सीटों देहरादून, ऋषिकेश, काशीपुर, रुद्रपुर और हल्द्वानी में भाजपा का कब्जा है जबकि दो सीटों पर कांग्रेस का कब्जा बना हुआ है।जिनमे,
देहरादून नगर निगम- सुनील उनियाल गामा (भाजपा)
हरिद्वार नगर निगम – अनीता शर्मा (कांग्रेस)
ऋषिकेश नगर निगम- अनीता मंमगाई (भाजपा)
काशीपुर नगर निगम- ऊषा चौधरी (भाजपा)
कोटद्वार नगर निगम- हेमलता नेगी (कांग्रेस)
हल्द्वानी नगर निगम- जोगेन्द्र रौतेला (भाजपा)
रुद्रपुर नगर निगम- रामपाल (भाजपा)
रुड़की नगर निगम-गौरव गोयल(निर्दलीय)
हम यह कह सकते है कि रुड़की निकाय में पिछले चार बार से निर्दलीय सरकार बनती रही है। जहां मेयर पद पर निर्दलीय प्रत्याशी गौरव गोयल विजयी रहे। वहीं वार्ड पार्षदों में जीतने वाले अधिकतर निर्दलीय प्रत्याशी ही है। ऐसे में बोर्ड संचालन में निर्दलीय पार्षदो की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। जिनमे भाजपा के कई बागी भी निर्दलीय षार्षद बने हैं। मेयर भी भाजपा के ही बागी हैं। नगर निगम के मेयर और पार्षद पद के लिए बीएसएम इंटर कालेज में मतगणना हुई थी।जहां मेयर पद के निर्दलीय प्रत्याशी गौरव गोयल ने शुरू से ही बढ़त बनाए रखी। जबकि अंत में निर्णय भी उनके पक्ष में ही आया। निर्दलीय प्रत्याशी गौरव गोयल ने कांग्रेस के रिशु राणा को हराकर जीत हांसिल की। मेयर पद के अतिरिक्त पार्षद पद पर खड़े निर्दलीय उम्मीदवरों ने भी पूरा दम दिखाया। लेकिन मेयर ही नहीं चालीस वार्डों में भी अधिकतर निर्दलीय प्रत्याशी जीतकर आए है। चालीस वार्डों में जहां 20 निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। वहीं भाजपा के 17 पार्षद प्रत्याशी ही जीत पाए। जबकि कांग्रेस के दो और बसपा का एक पार्षद जीत कर नगर निगम पहुंचा है। कुल मिलाकर शहर में निर्दलीयों की सरकार बन गई है। अब देखना है यह है कि निर्दलीय मेयर और निर्दलीय पार्षदों की यह सरकार कितनी कामयाब होती है
भाजपा से बगावत कर मैदान में उतरे गौरव गोयल ने मेयर पद के लिए भाजपा के किले में सेंध लगाने के साथ ही सभी क्षेत्रों से वोट हासिल किये।भाजपा में जिला महामंत्री के पद से लेकर संघ कार्यकर्ता के तौर पर गौरव गोयल की सक्रियता रही है। 2013 के नगर निगम चुनाव में भाजपा से वह टिकट के दावेदार थे। लेकिन तब पार्टी ने महेंद्र काला को दे टिकट दिया था।इस चुनाव में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर वह मैदान में उतरे और उन्होंने राज्य गठन के बाद निर्दलीय चुने जाने के इतिहास को फिर से दोहराया दिया। सन 2003 में नगर पालिका के पहले चुनाव में निर्दलीय के तौर दिनेश कौशिक पालिकाध्यक्ष बने थे। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए।सन 2008 में प्रदीप बत्रा ने बतौर निर्दलीय पालिकाध्यक्ष का चुनाव जीता था। वह भी कांग्रेस में शामिल हो गए थे। बाद में वह विधायक भी बने और फिर भाजपा में आ गए। पालिका से नगर निगम बनने के बाद 2013 में पहली बार रुड़की में मेयर का चुनाव हुआ। तब यशपाल राणा निर्दलीय मैदान में उतरे और उनके सिर भी जीत का सेहरा बंधा। अब 2019 के चुनाव में गौरव गोयल ने फिर से निर्दलीय जीत इतिहास दोहराया है। इस बार रुड़की निगम का क्षेत्र बड़ा था। चालीस वार्डों के साथ करीब 1.40 लाख मतदाता थे। बतौर निर्दलीय प्रत्याशी उन्होंने सब जगह अपनी उपस्थित दर्ज कराई। पहले राउंड से शुरू हुई उनकी बढ़त को अंत तक दलीय प्रत्याशी नहीं काट पाए। शुरू में उनकी टक्कर भाजपा से थी तो अंत में मुकाबला कांग्रेस के साथ सिमट गया और भाजपा तीसरे स्थान पर खिसक गई।वही पूर्व सांसद राजेन्द्र बॉडी को बसपा प्रत्याशी के रूप में करारी हार झेलनी पड़ी।

# डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट

matruadmin

Next Post

कौन मरा है

Tue Nov 26 , 2019
कोई कहता है मरा हिन्दू कोई कहता मुसलमान मरा हैअरे कोई ये क्यूं नहीं कहता आज फिर इक इन्सान मरा है कोई कहता ब्राह्मण मरा है मरा है कोई कहता ठाकुरन ब्राह्मण न ठाकुर मरे हुए गांधी का हिन्दुस्तान मरा है न अम्बेडकर का शूद्र सिद्धांत न मनु की मनुस्मृति […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।