डाल कटी तो बरगद रोया,
उतरी छाल न पीपल सोया
कटहल जामुन आम अभागे,
निम्ब वृक्ष ने धीरज खोयाll
साथ मिला अमरूद डाल का,
चली कुल्हाड़ी खट्टम खट
गिरीं डालियाँ सब कट-कटll
घहर घहर घहराया कटहल,
हहर हहर हहराया पीपल
ठूँठ हुई बरगद की छाती,
सूना हुआ धरा का अंचल
वृक्ष बने मानो झंझटll
साथ मिला अमरूद डाल का,
चली कुल्हाड़ी खट्टम-खट
गिरीं डालियाँ सब कट-कटll
हमने तो सबको दुलराया,
सबने हमसे जीवन पाया
वज्र हुई मानव की छाती,
हमसे ऐसा वैर निभाया
बन्द हुआ करुणा का पटll
साथ मिला अमरूद डाल का,
चली कुल्हाड़ी खट्टम-खट
गिरीं डालियाँ सब कट-कटll
जीवन दूभर हो जाएगा,
सांस न कोई ले पाएगा
जब न मिले फल-फूल छाँव भी,
तब यह मानव पछताएगा
लौटेगा फिर इस चौखटll
रीता होगा जीवन घट,
प्राणों का होगा संकट
चली कुल्हाड़ी खट्टम-खट
गिरीं डालियाँ सब कट-कटll
#डॉ. रंजना वर्मा
परिचय : डॉ. रंजना वर्मा का जन्म १५ जनवरी १९५२ का है और आप फैज़ाबाद(उ.प्र.) के मुगलपुरा(हैदरगंज वार्ड) की मूल निवासी हैंl आप वर्तमान में पूना के हिन्जेवाड़ी स्थित मरुंजी विलेज( महाराष्ट्र)में आसीन हैंl आप लेखन में नवगीत अधिक रचती हैंl
Bahut Sundar