मैं नदिया हूँ,
चुलबुली, आज़ाद..
निराली हूँ।
ज़मीन पर रहकर,
आसमाँ को समाती हूँ।
मुझसे खुशियां,
मुझसे ही दुःख..
लहराती हूँ,पर
उड़ नहीं पाती हूँ।
मन आए तो,
राह बदलती हूँ..
सागर की तरह नहीं,
जो राह न बदल सके,
मैं नदिया हूँ..।
#नेहा लिम्बोदिया
परिचय : इंदौर निवासी नेहा लिम्बोदिया की शिक्षा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में हुई है और ये शौक से लम्बे समय से लेखन में लगी हैं। कविताएँ लिखना इनका हुनर है,इसलिए जनवादी लेखक संघ से जुड़कर सचिव की जिम्मेदारी निभा रही हैं। इनकी अभिनय में विशेष रुचि है तो,थिएटर भी करती रहती हैं।