विरद श्याम प्यारे निभाते नहीं क्यों ? पुकारें स्वजन किन्तु आते नहीं क्यों ?   बढ़ाते रहे  चीर  हो  द्रौपदी  की, यहाँ रोज़ ही नारियाँ लुट रही हैं। बिना लाज के मारते भ्रूण-कन्या, बिना बात गायें यहाँ कट रही हैं।   तुम्हें गाय-बछड़े हमेशा से प्यारे, उन्हें मौत से आ […]

कलम मेरी चली तो शत्रु के  दिल काँप जाएंगे, छुपी मन की सभी बातें  सभी जन भाँप जाएंगे। हमारा  दर्द  है  ऐसा   सुनाना भी जिसे मुश्किल, छुपाना भी बहुत मुश्किल  बताना भी बहुत मुश्किलl   कभी  कोई  समझ पाए   हमारा दर्द औ पीड़ा, कभी मत खेल ये समझो  नहीं ही […]

ज़माने में सभी से प्यार के रिश्ते निभाने हैं। करें नफ़रत जो वो दस्तूर तो सारे पुराने हैंll बहुत ही खूबसूरत है हमारे देश की धरती, अभी भी इस जमीं पर सैकड़ों मंज़र सुहाने हैंll हमेशा इश्क़ औरत मर्द का ही तो नहीं किस्सा, वतन के प्यार में हमको दिलो-जाँ […]

जाने अमृत होगा या कि गरल होगा। जाने कैसा आने वाला कल होगा॥ वर्तमान ही जीने का सम्बल होता। निर्णय समय करेगा वही अटल होगा॥ है प्रयास करना ही जब अपने वश में। व्यर्थ न सोचें,उसका कैसा फल होगा॥ देखो स्वप्न सुनहरे कितने ही लेकिन। कर्म नहीं यदि किया,स्वयं से […]

श्याम गगन मण्डल में जब हँसें सितारे। एक  दीप  बालो  प्रिय  नाम  का हमारे॥ मेंहदी के बूटे सब सूखकर झरे, घाव लगे जो दिल पर हैं सभी हरे। हर उत्सव पर मन बस यही तो पुकारे। एक दीप बालो प्रिय नाम का हमारे॥ फीके पड़ गए चटक चुनरी के रंग, […]

रहिए हमेशा कर्मरत यह कर्म ही तो धर्म है। संवाद होते हैं मधुर प्रतिकूल लेकिन कर्म हैll    संसार माया मोह का पहने कवच ऐसा खड़ा, है भेदना सम्भव नहीं,कितना कठिन यह वर्म हैll   परवाह करता कौन है कोई दुखी हो या मरे, समझा कोई सकता नहीं,दुनिया बड़ी बेशर्म […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।