कभी लगती बुरी तो कभी लगती भली है।
जिंदगी भी मेरा इम्तेहान लेने पर तुली है॥
एक बार नहीं,ऐसा बार-बार हो रहा है।
हालातों द्वारा अरमानों का शिकार हो रहा है॥
कभी अनूकूल तो कभी विपरीत चली है।
जिंदगी भी मेरा इम्तेहान लेने पर तुली है॥
अपने अहसास को मैं शब्दों में उतारना जानता हूँ।
बुरे दौर को भी हँस के गुजारना जानता हूँ॥
मैं दिल को,दिल मुझको देता तसल्ली है।
जिंदगी भी मेरा इम्तेहान लेने पर तुली है॥
#कुलदीप खदाना
परिचय : कुलदीप खदाना पेशे से फौजी हैं। इनके पिता-बांके सिंह भी फौजी(अब स्व.)रहे हैं। इनकी जन्म तारीख-२-फरवरी-१९८७ और जन्म स्थान-बुलन्दशहर है। वर्तमान पता-पोस्ट-खदाना,जिला-बुलन्दशहर(उत्तर प्रदेश) है।बी.ए. तक शिक्षित श्री खदाना का कार्यक्षेत्र-पैरा मिलिट्री (एसएसबी)है। आपके लेखन का उद्देश्य-शौक ही है।