संयुक्त राष्ट्र में बहुभाषावाद पर प्रस्ताव पारित, पहली बार हिंदी अपनाने का जिक्र

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान ने आभार व्यक्त किया

वाशिंगटन। शुक्रवार को पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र हिन्दी भाषा सहित आधिकारिक और गैर-आधिकारिक भाषाओं में महत्वपूर्ण संचार और संदेशों का प्रसार जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने एक उल्लेखनीय पहल करते हुए बहुभाषावाद पर भारत द्वारा पेश प्रस्ताव को पारित किया है। इसमें संयुक्त राष्ट्र के कामकाज में हिंदी व अन्य भाषाओं को भी बढ़ावा देने का पहली बार जिक्र किया गया है। इस साल पहली बार प्रस्ताव में हिन्दी भाषा का उल्लेख है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के इस फ़ैसले पर भारत का अग्रणीय हिन्दी प्रचारक संस्था मातृभाषा उन्नयन संस्थान ने महासभा के आभार व्यक्त किया, राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने कहा कि ‘हिन्दी भारत की प्रतिनिधि भाषा है, और भाषा के माध्यम से भारत की प्रभुत्व संपन्नता आँकी जाती है। संयुक्त राष्ट्र महासभा का अशेष आभार, जिन्होंने विश्व के दूसरे बड़े राष्ट्र की आधिकारिक भाषा को महत्त्व प्रदान कर स्वीकार किया।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने इस पहल का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि बहुभाषावाद को संयुक्त राष्ट्र के मूलभूत मूल्यों के रूप में मान्यता दी गई है। तिरुमूर्ति ने बहुभाषावाद व हिंदी को प्राथमिकता देने के लिए यूएन महासचिव के प्रति आभार प्रकट किया। भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि भारत 2018 से यूएन के वैश्विक संचार विभाग (डीजीसी) के साथ साझेदारी कर रहा है। यूएन के समाचार और मल्टीमीडिया सामग्री को हिंदी में प्रसारित करने व मुख्यधारा में लाने के लिए अतिरिक्त राशि दे रहा है।

‘हिंदी @ यूएन’ परियोजना 2018 में शुरू की गई
तिरुमूर्ति ने आगे कहा कि यूएन में हिंदी को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत 2018 में ‘हिंदी @ यूएन’ परियोजना आरंभ की गई। इसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र की सार्वजनिक सूचनाएं हिंदी में देने को बढ़ावा देना और दुनियाभर के करोड़ों हिंदी भाषी लोगों के बीच वैश्विक मुद्दों के बारे में अधिक जागरूकता लाना है। इस संदर्भ में उन्होंने एक फरवरी, 1946 को यूएन महासभा के पहले सत्र में अपनाए गए सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 13(1) का जिक्र किया। इसमें कहा गया था कि संयुक्त राष्ट्र अपने उद्देश्यों को तब तक प्राप्त नहीं कर सकता जब तक कि दुनिया के लोगों को इसके उद्देश्यों और गतिविधियों के बारे में पूरी जानकारी न हो। संयुक्त राष्ट्र में बहुभाषावाद को सही मायने में अपनाना अनिवार्य है। भारत इस उद्देश्य को प्राप्त करने में संयुक्त राष्ट्र का समर्थन करेगा।

संयुक्त राष्ट्र में अरबी, चीनी, अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश ये छह आधिकारिक भाषाएं हैं। जबकि, अंग्रेजी और फ्रेंच संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की कामकाजी भाषाएं हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।