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ज्ञान की देवी सरस्वती पूजता हूँ तुम्हें,
बुद्धि और विवेक के भंडार भर दीजिए।
व्यर्थ शब्दों का अवशेष फैल रहा चहुंओर,
शुद्धता बना दो दूर सब विकार कर दीजिए।
प्रेम-प्यार वाली बोली सब बोलने लगें तो,
द्वेष वाली भावना का उदगार कर दीजिए।
चाहता हूँ लेखनी राष्ट्र हित में ही चलती रहे,
मुझे दे के वरदान ऐसा उपकार कर दीजिए।
की मैया शेरा वालिए दुर्गा महा कालिए,
दुखियों के दुखों का उद्धार कर दीजिए।
दर पे में आया तेरे,दुखों को मिटाओ मेरे,
सब समस्याओं का संहार कर दीजिए।
लिखने की शक्ति दो,बोलने की शक्ति दो,
कलम की मेरी तेज धार कर दीजिए।
लेखनी चिराग है, हर छंद मेरा आग है,
पूर्ण शब्दों में मेरे अंगार भर दीजिए।
आज नहीं-कल नहीं,परसों नहीं मित्र मेरे,
देश को आज एक यंत्र अब चाहिए।
जन गण मन हो या सुजलांम सुफलांम,
चहुंओर देश को ऐसा मंत्र अब चाहिए।
तो देश भक्ति के तराने लिखता रहूंगा मैं,
कलम को मेरी लोकतंत्र अब चाहिए।
लाज शर्म छोड़कर,लिखूं शब्द जोड़कर,
सदा के लिए देश स्वतंत्र अब चाहिए।
बार-बार वंदना,करे ये गौरी पुत्र नंदना,
दीन-हीन व्यक्तियों के दुखों को उबार दो।
जो मिटा रहे सत्य को बहा रहे रक्त को,
आकर आप इन्हें अपने फरसे से फाड़ दो।
देशद्रोहियों के अंश को,पापियों के वंश को,
आकर के आप अब जड़ से उखाड़ दो।
और लुटेरों के वंश कर दीजिएगा निर्वंश,
पकड़ दोनों हाथ उनके जबड़ों को फाड़ दो॥
#प्रशांत कौरव ‘मजबूर’
परिचय: प्रशांत कौरव ‘मजबूर’ की जन्मतिथि-१७ अक्टूबर १९९२ और जन्म स्थान-आडेगाँव(खुर्द,गाडरवाड़ा जिला नरसिंहपुर, मध्यप्रदेश) है। मप्र के इसी शहर-गाडरवाड़ा में आपका निवास है। उच्चतर शिक्षा के बाद आपका कार्यक्षेत्र-कृषि का निजी व्यवसाय है। आप सामाजिक क्षेत्र में कौरव महासभा नरसिंहपुर में सक्रिय हैं। लेखन विधा-वीर रस अपनाई हुई है तो करीब २५० अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में मंच से भी कविताएं सुना चुके हैं। सम्मान के रुप में नवोदित रचनाकार सम्मान,भीष्म साहित्य सम्मान,वाग्दत्ता साहित्य सम्मान, सरस्वती साहित्य परिषद युवा रचनाकार सम्मान काव्य कलश समान २०१७ भी आपको दिया गया है। आपके लेखन का उद्देश्य यही है कि,अपनी कविताओं के माध्यम से सब लोगों को हर बार एक आजाद हिन्दुस्तान का संदेश और आतंकवादियों,भ्रष्टाचारियों तथा देशद्रोहियों से हमेशा लड़ने का प्रोत्साहन देते रहें।
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