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ग़ज़ल में ग़मों के तराने लिखे
कई दर्द अपने पुराने लिखे।।
हमीं ने लिखी वक्त की बेरुख़ी
हमी ने बदलते ज़माने लिखे।।
जहां ज़िन्दगी ने अंधेरे दिए
क़लम ने उजाले सुहाने लिखे।।
मुझे प्यार में तूने धोखा दिया
तिरे बख्शे ग़म के फसाने लिखे।।
हक़ीक़त में हो ख़्वाब पूरे ये सब
ऐसे ख़्वाब हमने सयाने लिखे।।
आकिब जावेद
बाँदा,उत्तर प्रदेश
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