हाइकू लेखन

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दिलासा नहीं
भरोसा चाहती हूं
भाषा हिंदी हूं

जुलूस नहीं
साथ हो बस सच्चा
ये चाहती हूं

विरोध नहीं
किसी से मेरा कहीं
प्यारी हिंदी हूं

बसी दिलों में
सबकी जुबान पे
सजी हिंदी हूं

हर भाषा को
प्यार से अपनाती
मीठी हिंदी हूं

मीरा की तान
ग़ालिब की ग़ज़ल
सबमें मैं हूँ

क ख ग घ ङ
मुझसे ना ले पंगा
शक्तिशाली हूं

विजेता सेठीया

परिचय
  डॉक्टर विजेता साव
पिता– श्री विजय साव
शिक्षा –ऑनर्स .एम ए, (हिंदी ),बीएड, नेट ,सीटेट, पी एच   डी,डी़ लिट् (आन्रेरी)
संप्रति —अध्यापन, रविंद्र भारती विश्वविद्यालय, कोलकाता
घर का पता —56/19 स्थिर पाड़ा रोड 27 नंबर रेल गेट   जगतदल ,गीतांजलि अपार्टमेंट ,फ्लैटB, पोस्ट -काकीनाडा जिला 24 परगना उत्तर, पिन 743126 पश्चिम बंगाल।

प्रकाशित पुस्तकें—‘ स्मृति का पुनर्वास
                           ‘मुक्तिबोध कुछ यूं भी’
                            ‘खूबसूरत ज़िद ।

प्रकाशित लेख —आज की स्त्री का घोषणा पत्र, नए युग में शत्रु की पहचान कराती मंगलेश की कविताएं, वैश्वीकरण का परिप्रेक्ष्य, कुंवर नारायण की कविता में प्रकृति चित्रण, हिंदी के विकास में फिल्मों की भूमिका, नव इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से उपजा नव मानव, निराशा से आशा तक ,डबराल का काव्य- संदर्भ भाषिक संरचना ,हिंदी काव्य में मत्स्य प्रतीक ,क्षण अनुभूति और अग्ये, हिंदी भाषा से गायब होती बोलियां, भीष्म साहनी का स्त्री विमर्श, पर्यावरण विमर्श और समकालीन कविता ,समकालीन साहित्य में स्त्री विमर्श इत्यादि ।

अनुवाद कार्य —भीष्म साहनी एवं कमलेश्वर की कुछ कहानियों का अंग्रेजी में अनुवाद। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में आलेख वाचन इत्यादि ।

साझा संग्रह—  स्नेह अनुबंध
                          गीत गुंजन
                           मातृभाषा
                           लॉर्ड कृष्णा
                          अनुभव लाॅकडाउन के
  सम्मान —-
हिंदी साहित्य सम्मेलन शताब्दी  युवा पुरस्कार।
राष्ट्रीय साहित्यांचल शिखर सम्मान
गोपाल राम गहमरी   साहित्य सम्मान ।
विश्व हिंदी रचनाकार मंच द्वारा हिंदी अटल सम्मान
प्रेरणा साहित्य प्रहरी सम्मान महिला साहित्यिक मंच     बेंगलुरु।
साहित्य श्री सम्मान
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘डी लिट ‘की उपाधि से सम्मानित ( Brazil)

साक्षात्कार— मंगलेश डबराल से बातचीत।

  संगोष्ठी एवं कार्यशाला— 30  से ऊपर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ता के रूप में प्रस्तुति एवं 20 से अधिक कार्यशाला में वक्ता के रूप में प्रस्तुति
वेबीनार—- लगभग 30  राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार में वक्ता के रूप में प्रस्तुति
कई जगहों पर कविता पाठ ।
कई राष्ट्रीय  अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं का प्रकाशन साहित्य सुधा ,शब्द प्रवाह ‘,ई ‘मैगजीन में कविताएं प्रकाशित

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।