परिचय : डॉ.अन्नपूर्णा श्रीवास्तव लेखन में कविता,कहानी,ग़ज़ल माता के आगमन-विसर्जन के गीत भजन निबंध आदि लिखती हैं। आप लगभग सभी विधाओं में सृजन करती हैं। आप बिहार से हैं।
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देखा है मैंने,
भावना सत्य और न्याय को…
अर्थ की तराजू मेंं तुलते
पवित्र नैतिकता के सूर्य पर,
सैकड़ों प्रवंचनाओं के बादल-
घिरते।
मरीचिकाओं के रिश्वत केे बल
झूठ को हँसते,सत्ता के हाथोंं-
पुरस्कृत होते।
सत्य को लांछित हो
सरेआम-
असहाय रोते।
#डॉ.अन्नपूर्णा श्रीवास्तव
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