आपदा और अवसर

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आपदा अवसर बनकर रह गई
जुमलों की सरकार
जुमलों से चल गई
जनता हाथ मलते रह गई ||

अवसर को सबने खूब भुनाया
सरकारी सम्पत्ति बेक – बेककर
नेताजी ने देश चलाया
बढ़ता क्राइम ग्राफ रुक नहीं पाया ||

एक तरफ विकास का बजता डंका
मिल गये आपस में सदाचार और दुराचार
गरीब की मिटी न शंका
जनता की लुट गई लंका ||

आपदा अवसर बनकर रह गई
कोरोना में मदहोश सरकार
जनता देश की खातिर सब सह गई
दिल्ली तेरी कलई अब तो खुल गई ||

आपदा अवसर बनकर रह गई

  • मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

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