शहीद की माँ

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विकल वेदना तडपाती है
बेबस मन को क्या समझाये
मन में पीडा फिर जाग उठी
फिर नीर नयन में भर आये

अब आयेगा अब आयेगा
वो राह द्वार पर तकती है
सारी उम्मीदें टूट गईं
फिर भी वह आशा रखती है

बिना तेरे जीवन में बेटा
कुछ भी नहीं हमारे
बस एक बार तो आजा बेटा
तुझको तेरी माता पुकारे

शहीद बेटे के भाव

साहस बटोर अब रखलो माँ
तेरा बेटा अब नहीं यहाँ
संकल्प हुआ उसका पूरा
कुर्बान हुई उसकी अब जाँ

वतन की रक्षा करना था माँ
ये फर्ज अदा तो करना था माँ
जिस मिट्टी पर जन्म लिया था
उसकी खातिर तो मरना था माँ

मीना विवेक जैन

परिचय-
नाम- मीना विवेक जैन
बालाघाट, मध्यप्रदेश
शिक्षा-बी.ए.
प्रकाशित पुस्तकें
एकल संग्रह–सृजन समीक्षा, अहसास, बदलाव, आपातकाल में सृजन फुलवारी, स्त्री हृदय की धडकन है, मेरी प्यारी प्यारी बेटियाँ,
लगभग 20 से अधिक

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।