मेरी तस्वीर को कैद कर लो,
मुझे कैद कर लो।
मेरे जिस्म को लेकिन, क्या
कर सकते हो कैद?
मेरे विचारों को
अरमानों को,
जज़्बातों को
मेरे ख्वाबों को,
मेरे इरादों को।
नहीं जनाब ये,
नामुमकिन है और मुझे यकीन भी है,
कि एक न एक दिन
तुम यकीं करोगे मेरे,
विचारों पर। भरोसा करोगे,
मेरे इरादों पर।
मुहब्बत करोगे
मेरी सूरत नहीं,
सीरत से दर्जा दोगे मुझे ऐसा…
जो किसी सामान से ज्यादा होगा।
मैं नहीं चाहती
बराबरी करना
या आगे निकलना,
तुमसे
मैं सिर्फ एहसास चाहती हूं,
अपनी मौजूदगी का..
तुम्हारे साथ का।
मैंने कभी तुम्हारी तरक्की से
जलन नहीं की।
मुझे कोई मोर्चा नहीं लड़ना
तुम्हारे खिलाफ। न ही रचना चाहती हूं कोई इतिहास। बस चाहती हूं गुजारना
इज्जत से पूरी जिंदगी॥
बोलो क्या हो तैयार ???????
परिचय: पिंकी परुथी ‘अनामिका’ राजस्थान राज्य के शहर बारां में रहती हैं। आपने उज्जैन से इलेक्ट्रिकल में बी.ई.की शिक्षा ली है। ४७ वर्षीय श्रीमति परुथी का जन्म स्थान उज्जैन ही है। गृहिणी हैं और गीत,गज़ल,भक्ति गीत सहित कविता,छंद,बाल कविता आदि लिखती हैं। आपकी रचनाएँ बारां और भोपाल में अक्सर प्रकाशित होती रहती हैं। पिंकी परुथी ने १९९२ में विवाह के बाद दिल्ली में कुछ समय व्याख्याता के रुप में नौकरी भी की है। बचपन से ही कलात्मक रुचियां होने से कला,संगीत, नृत्य,नाटक तथा निबंध लेखन आदि स्पर्धाओं में भाग लेकर पुरस्कृत होती रही हैं। दोनों बच्चों के पढ़ाई के लिए बाहर जाने के बाद सालभर पहले एक मित्र के कहने पर लिखना शुरु किया था,जो जारी है। लगभग 100 से ज्यादा कविताएं लिखी हैं। आपकी रचनाओं में आध्यात्म,ईश्वर भक्ति,नारी शक्ति साहस,धनात्मक-दृष्टिकोण शामिल हैं। कभी-कभी आसपास के वातावरण, किसी की परेशानी,प्रकृति और त्योहारों को भी लेखनी से छूती हैं।
excellent. keep it up.